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म्यांमार के सेना प्रमुख के इस बयान से और ज्यादा बढ़ेगा रोहिंग्या मुसलमानों का डर!

म्यांमार के सेना प्रमुख ने देश में रोहिंग्या मुसलमानों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा बयान दिया है...

Reported by: Bhasha
Published on: May 05, 2018 15:52 IST
Rohingya will be safe in areas 'designated' for them, says Myanmar army chief | Facebook- India TV Hindi
Rohingya will be safe in areas 'designated' for them, says Myanmar army chief | Facebook

यंगून: म्यांमार के सेना प्रमुख ने देश में रोहिंग्या मुसलमानों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि देश में लौटने वाले रोहिंग्या शरणार्थी तब तक सुरक्षित रहेंगे जबतक वे उनके लिए निर्मित मॉडल गांवों में रहेंगे। इस बयान से इस भय को बल मिला है कि उन्हें अनिश्चित काल तक के लिए ऐसे स्थानों पर रखा जाएगा। सेना ने अगस्त में आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई शुरु की थी जिसके बाद करीब 7,00,000 रोहिंग्या मुसलमान बौद्ध बहुल म्यांमार छोड़कर चले गए थे। अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने इसे जातीय सफाया कहा है।

म्यांमार और बांग्लादेश इन शरणार्थियों को संघर्ष प्रभावित रखाइन प्रांत में वापस रखने पर पिछले वर्ष राजी हुए थे लेकिन रोहिंग्या सुरक्षा तथा आवाजाही की आजादी जैसे मूल अधिकारों की गारंटी के बगैर देश में वापस लौटने को अनिच्छुक हैं। देश के प्रभावशाली सेना प्रमुख मिन आंग हलांग ने म्यांमार की यात्रा पर आए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिनिधिमंडल के साथ 30 अप्रैल को राजधानी ने पी ताव में भेंट के दौरान जो कुछ कहा था, उससे उनका डर और बढ़ गया है। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल से कहा था,‘यदि वे अपने लिए निर्धारित क्षेत्रों में रहते हैं तो उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता करने की जरुरत नहीं है।’ मिन आंग हलांग का यह बयान शनिवार को उनके फेसबुक पेज पर डाला गया था।

उन्होंने इन अल्पसंख्यकों को बंगाली करार दिया। यह दर्शाता है कि म्यांमार में ऐसी व्यापक मान्यता है कि रखाइन में इतने समय से रहने के बाद भी रोहिंग्या बांग्लादेश के प्रवासी हैं। सेना प्रमुख ने न्यायेतर हत्या, आगजनी और बलात्कार का आरोप लगाने वाले शरणार्थियों के आरोंपों पर संदेह प्रकट किया। उन्होंने कहा, ‘बंगाली कभी नहीं कहेंगे कि वे वहां खुशी-खुशी पहुंचे। उन्हें केवल तभी सहानुभूति और अधिकार मिलेंगे जब वे कहेंगे कि वे ढेर सारी मुसीबतों और अत्याचार का सामना करते हैं।’

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