कराची: पाकिस्तान के सिंध प्रांत के घोटकी में दंगाइयों की हिंसा का शिकार हिंदू समुदाय अब भी सिहर उठता है। दंगाइयों के डर का यह आलम था कि बाहर सड़क पर उन तक आवाज न पहुंचे, इसके लिए परिवारों ने अपने बच्चों को रोने तक से रोका। पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसा रविवार को तब हुई जब एक हिंदू पर कथित ईश निंदा का आरोप लगा।
एक छात्र ने आरोप लगाया कि सिंध पब्लिक स्कूल के मालिक नोतन लाल ने मुहम्मद साहब के बारे में विवादित टिप्पणी की है। इसके बाद दंगाइयों की भीड़ इकट्ठी होती गई और लाठी-डंडे से लैस ये लोग हिंदू संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने लगे।
रिपोर्ट में बताया गया है कि सिंध पब्लिक स्कूल में आग लगा दी गई। शहर में हिंदुओं की कम से कम पांच दुकानों को क्षतिग्रस्त कर उनमें लूटपाट की गई। एक मंदिर को भी क्षतिग्रस्त किया गया। कानून का पालन करवाने की जिन अधिकारियों पर जिम्मेदारी थी, वे दंगाइयों के सामने नाकाम दिखे। दिन ढलने के साथ हालात तब काबू में आए जब दंगाई खुद ही तितर-बितर हो गए।
भीड़ की हिंसा घोटकी के आस-पास के इलाकों में भी हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि विवादित टिप्पणी की बात शनिवार को ही सामने आ गई थी, लेकिन इसके बाद भी हिंदू संपत्तियों और धर्मस्थल की सुरक्षा का पहले से कोई बंदोबस्त नहीं किया गया।
दंगाइयों ने हिंदू परिवारों को धमकाया। इसके बाद हिंदू समुदाय के लोग अपने-अपने घरों में छिप गए। समुदाय के एक सदस्य ने बताया, "यहां तक कि हमने अपने बच्चों को रोने भी नहीं दिया। यह एक भयावह स्वप्न की तरह था। हम मानसिक आघात की स्थिति में हैं और कह नहीं सकते कि कब हम बेहिचक बाहर आ-जा सकेंगे।"
उन्होंने कहा कि दंगाई सड़क पर खुलेआम घूम रहे थे और हिंदू धर्म के खिलाफ नारे लगा रहे थे।