बीजिंग: चीन ने गुरुवार को उम्मीद जताई कि भारत और जापान के बीच बढ़ते संबंध शांति एवं स्थिरता के लिए सहायक होंगे और साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि क्षेत्र में देशों को गठजोड़ बनाने की बजाय साझेदारी के लिए काम करना चाहिए। चीन के विदेश मंत्रालय की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा के दौरान भारत और जापान ने अपने नजदीकी संबंधों को प्रगाढ़ बनाने का प्रयास किया है। भारत और जापान ने अपनी रणनीतिक साझेदारी को व्यापक आधार प्रदान करने के लिए 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किए और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की, जहां चीन अपनी आक्रामकता बढ़ा रहा है।
भारत-जापान के बीच रणनीतिक साझेदारी बढ़ने के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, ‘हम इसकी पैरवी करते हैं कि देशों को टकराव के बिना संवाद के लिए खड़े होना चाहिए और गठजोड़ की बजाय साझेदारी के लिए काम करना चाहिए।’ हुआ आबे की भारत यात्रा के बारे में एक सवाल का उत्तर दे रही थीं। उन्होंने यद्यपि भारत को यूएस-2 एंफीबियस विमान बेचने की जापान की योजना जैसे विशिष्ट मुद्दों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह आबे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक के बाद दोनों देशों की ओर से विस्तृत बयान जारी होने का इंतजार करना चाहेंगी।
इसलिए तनी हैं चीन की भौहें
जापान की भारत को ऐसे एंफीबियस विमान बेचने की योजना पर यहां भौंहें तन गईं हैं क्योंकि यह जापान की ओर से किसी अन्य देश को रक्षा उपकरण बेचने का पहला ऐसा कदम है। इसके साथ ही भारत में जापान को पहली बुलेट ट्रेन परियोजना मिलने को लेकर भी चीन चिंतित है जो कि अहमदाबाद और मुम्बई के बीच बनेगी। चीन भी भारत में हाईस्पीड रेल परियोजनाएं हासिल करने की दौड़ में है, विशेष रूप से नई दिल्ली-चेन्नई के बीच। इसके साथ ही पूर्वी चीन सागर में द्वीपों को लेकर भी चीन और जापान में लंबे समय से विवाद है।
इसलिए छूट रहे हैं चीन के पसीने
हुआ ने कहा कि चीन क्षेत्र के देशों के बीच संबंधों के सामान्य विकास का तब तक स्वागत करेगा जब तक वह क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए अनुकूल होगा। आबे की भारत यात्रा पर टिप्पणी करते हुए चीन के थिंकटैंकों ने कहा कि फ्रीडम कॉरिडोर के साथ ही भारत और जापान द्वारा विभिन्न देशों में संयुक्त रूप से आधारभूत परियोजनाएं शुरू करने को दोनों देशों द्वारा चीन की महत्वाकांक्षी अरबों डालर की लागत वाले ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के खिलाफ एक रणनीतिक जवाब के तौर देखा जा रहा है। भारत-जापान पहल फ्रीडम कॉरिडोर एशिया-प्रशांत से अफ्रीका तक विस्तारित है और इसका उद्देश्य क्षेत्र में स्थिरता प्रदान करना है।
क्या कहते हैं चीनी विश्लेषक
शंघाई एकेडमी आफ सोशल साइंसेस के इंस्टीट्यूट आफ इंटरनेशनल रिलेशंस में रिसर्च फेलो हू झियोंग ने कहा, ‘फ्रीडम कॉरिडोर को चीन के BRI के जवाब में डिजाइन किया गया है और आबे तथा मोदी के बीच वार्ता में इसके प्रमुख रूप से छाए रखने की उम्मीद है। वहीं यूनिवर्सिटी ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस में एसोसिएट प्रोफेसर चू इन ने कहा कि जापान-भारत पहल केवल एक शुरूआत है। इसके BRI जैसे स्तर पर पहुंचने की उम्मीद नहीं है। चीनी विश्लेषकों ने इस खबर का भी उल्लेख किया कि भारत और जापान अफ्रीका, ईरान, श्रीलंका और दक्षिण पूर्व एशिया में कई आधारभूत परियोजनाओं की शुरूआत कर रहे हैं। इसे चीन के उसे यूरोप एवं अफ्रीका से जोड़ने वाली एकीकृत आधारभूत पहलों का जवाब माना जा रहा है।