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अब चीन के खिलाफ सड़कों पर उतरे इस देश के लोग, मिलिट्री बेस को लेकर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन

विस्तारवादी चीन का खतरा अब समंदर की ओर दिखने लगी है और इसके लिए ड्रैगन अलग-अलग देशों को अहने कर्ज के जाल में फंसाता जा रहा है। कर्ज न चुकाने के एवज में चीन ऐसे देशों पर अपनी मर्जी थोपता जा रहा है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 23, 2020 19:04 IST
Protest in Cambodia over alleged China military base- India TV Hindi
Image Source : AP Protest in Cambodia over alleged China military base

नामपेन्ह: विस्तारवादी चीन का खतरा अब समंदर की ओर दिखने लगी है और इसके लिए ड्रैगन अलग-अलग देशों को अहने कर्ज के जाल में फंसाता जा रहा है। कर्ज न चुकाने के एवज में चीन ऐसे देशों पर अपनी मर्जी थोपता जा रहा है। इस कड़ी में ड्रैगन का नया शिकार बना है कंबोडिया। कर्ज ना चुका पाने की वजह से कंबोडिया ने अपना रीम नेवल बेस चीन को 99 साल की लीज पर दे दिया है। कंबोडिया का रीम नेवल बेस अंडमान निकोबार द्वीप समूह से 1200 किलोमीटर दूर है। चीन की कंपनी तियानजिन यहां पर 3.8 अरब डॉलर का निवेश करेगी।

अब यही फैसला कंबोडिया सरकार के लिए गले की फांस बनता जा रहा है। हजारों की संख्या में कंबोडियाई लोगों ने अपने राष्ट्रध्वज के साथ राजधानी नामपेन्ह में चीनी दूतावास के सामने प्रदर्शन किया। मौके पर पहुंची कंबोडिया की पुलिस ने जबरदस्ती सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। पुलिस के साथ हुई झड़प में कई लोगों को चोट भी लगी है।

प्रदर्शनकारी दूतावास के सामने कह रहे थे कि उन्हें कंबोडिया में चीन की सैन्य उपस्थिति स्वीकार नहीं है। जिसके बाद पहुंची पुलिस ने बलप्रयोग करते हुए दूतावास के सामने से प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया। नामपेन्ह पुलिस के प्रवक्ता सैन सोक सेहा ने कहा कि हिरासत में लिए गए लोगों को पूछताछ के लिए ले जाया गया क्योंकि रैली को परमिट नहीं दिया गया था।

 एक रिपोर्ट के अनुसार, कंबोडिया ने अपने इस नेवल बेस को 99 साल की लीज पर चीन की कंपनी तियानजिन को दे दिया है। यह कंपनी इस पोर्ट को विकसित करने के लिए 3.8 अरब डॉलर का निवेश करेगी। इस समझौते के तहत चीन की नौसेना इस ठिकाने को अगले 40 सालों तक इस्तेमाल कर सकेगी। यह कंपनी पास के एक हवाई अड्डे को भी विकसित करने की योजना पर काम कर रही है। माना जा रहा है कि चीन यहां अपने एडवांस जे-20 लड़ाकू विमानों को तैनात कर सकता है।

दरअसल चीन ने कंबोडिया में भी बेल्ट एंड रोड परियोजना में भारी निवेश किया है। 2017 के बाद चीन ने कंबोडिया में 10 अरब डॉलर का निवेश किया है जिसे चुका पाने में ये गरीब देश नाकाम रहा। एक अहम नेवल बेस के चीन के हाथों में जाने से भारत भी चिंतित है और अमेरिका भी। अमेरिका के द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने पिछले साल ही कंबोडिया और चीन के इस गुप्त डील का खुलासा किया था।

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