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चांद पर पहले से घूम रहा है चीन का रोवर, कर चुका है ‘Gel Like’ पदार्थ की खोज

चांद की सतह पर चीन का रोवर ‘युतु-2’ जनवरी 2019 से घूम रहा है। चीन की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ‘चायना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (CNSA) ने पिछले महीने ही अपने रोवर द्वारा की गई खोज की जानकारी सार्वजनिक की थी

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : September 06, 2019 16:01 IST
Chinese Rovar yutu 2 already on moon
Image Source : SOCIAL MEDIA Chinese Rovar yutu 2 already on moon 

नई दिल्ली। चांद पर पहुंचकर भारत का चंद्रयान-2 आज इतिहास रचने वाला है और दुनियाभर में यह उपलब्धि प्राप्त करने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा। भारत के चंद्रयान-2 का रोवर ‘प्रज्ञान’ थोड़ी शनिवार तड़के चांद की सतह पर सैर करेगा, लेकिन चीन का रोवर ‘युतु-2’ पहले से ही चांद की सतह पर घूम रहा है और हाल ही में चीन के रोवर ने चांद की सतह पर Gel की तरह दिखने वाले एक पदार्थ की खोज भी की है।

चांद की सतह पर चीन का रोवर ‘युतु-2’ जनवरी 2019 से घूम रहा है। चीन की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ‘चायना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (CNSA) ने पिछले महीने ही अपने रोवर द्वारा की गई खोज की जानकारी सार्वजनिक की थी।

लेकिन अब भारत का चंद्रयान-2 दुनिया के अन्य देशों से अलग उपलब्धि हासिल करने वाला है, चंद्रयान-2 चांद के उस हिस्से पर उतरने जा रहा है जिस हिस्से पर आज तक चांद पर पहुंचने वाले 3 देशों ने अपने यान नहीं उतारे हैं। भारत के चंद्रयान की लेंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होने वाली है।

भारत के चंद्रयान-2 का चांद की सतह पर पहुंचकर इतिहास बनाना इतना आसान नहीं होगा क्योंकि चांद की सतह पर उतरने में जो पंद्रह मिनट लगेगा वो बेहद अहम है। 7 सितंबर की रात के 1.40 बजे विक्रम का पावर सिस्टम एक्टिवेट हो जाएगा। विक्रम चांद की सतह के बिल्कुल सीध में होगा। विक्रम अपने ऑनबोर्ड कैमरा से चांद के सतह की तस्वीरें लेना शुरू करेगा। विक्रम अपनी खींची तस्वीरों को धरती से लेकर आई चांद के सतह की दूसरी तस्वीरों से मिलान करके ये पता करने की कोशिश करेगा की लैंडिंग की सही जगह कौन सी होगी।

पूरी कोशिश चंद्रयान को उस जगह पर उतारने की होगी जहां की सतह 12 डिग्री से ज्यादा उबड़-खाबड़ न हो ताकि यान में किसी तरह की गड़बड़ी न हो। एक बार विक्रम लैंडिंग की जगह की पहचान कर लेगा, उसके बाद सॉफ्ट लैंडिंग की तैयारी होगी। इसमें करीब 15 मिनट लगेंगे। यही 15 मिनट मिशन की कामयाबी का इतिहास लिखेंगे।

आखिरी 15 मिनट के दौरान 1 बजकर 40 मिनट पर लैंडर विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर दो क्रेटरों के सीध में पहुंचेगा और यहां से लैंडिंग के लिए अपनी यात्रा शुरू करेगा। उस वक्त चांद की सतह से लैंडर की ऊंचाई सिर्फ 30 किलोमीटर होगी। 30 किलोमीटर की दूरी जब 7.4 किलोमीटर की होगी तब लैंडर की गति धीमी की जाएगी। 5.5 किलोमीटर पर पहुंचने के बाद लैंडर के दो इंजन बंद कर दिए जाएंगे।

इसके बाद 400 मीटर की ऊंचाई तक विक्रम 45 डिग्री के कोण पर झुका रहेगा और 12 सेकेंड तक मंडराता रहेगा। 100 मीटर तक पहुंचने पर विक्रम लैंडर 22 सेकेंड तक मंडराता रहेगा। 100 मीटर से लैंडर की यात्रा फिर 10 मीटर पर आकर रुक जाएगी। 10 मीटर की ऊंचाई से लैंडर 4 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचेगा और सिर्फ 1 इंजन के सहारे चांद की धरती पर 1 बजकर 55 मिनट पर उतरेगा।

इस पूरी प्रकिया को सॉफ्ट लैडिंग का नाम दिया गया है। ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ इस मिशन का सबसे मुश्किल पल है और ये इसरो वैज्ञानिकों के ‘दिलों की धड़कनों’ को रोक देने वाला है। चांद पर उतरने के 15 मिनट बाद विक्रम लैंडर पहली तस्वीर भेजेगा और चांद पर उतरने के 4 घंटे बाद लैंडर से रोवर निकलेगा।

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