मनीला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष मैलकम टर्नबुल और वियतनाम के प्रधानमंत्री गुएन शुआन फुक के साथ आज अलग अलग द्विपक्षीय वार्ताएं कीं और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा परिदृश्य में सुधार समेत सामरिक हितों के विभिन्न मामलों पर चर्चा की। ये बैठकें फिलीपीन में आसियान शिखर सम्मेलन से इतर हुईं। ऐसा समझा जाता है कि टर्नबुल के साथ बैठक में क्षेत्र में चीन की आक्रामक सैन्य स्थिति की पृष्ठभूमि में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों के साझा सामरिक हितों पर भी चर्चा की गई। भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान के अधिकारियों ने क्षेत्र में अपने साझा सुरक्षा हितों के मद्देनजर प्रस्तावित चतुर्पक्षीय गठबंधन को आकार देने को लेकर रविवार को यहां मुलाकात की थी। (ट्रंप के यात्रा प्रतिंबध को आंशिक रूप से लागू करने को मिली इजाजत)
मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कल यहां हुई वार्ता के दौरान भी इस मुद्दे पर बातचीत हुई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘सामरिक साझीदारी निकट सहयोग और बहुआयामी संवाद को दर्शाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री मैलकम टर्नबुल ने मनीला में बैठक की और कई क्षेत्रों में सहयोग आगे बढ़ाने की महत्वपूर्ण संभावना के लिए निकट सहयोग पर चर्चा की।’’ मोदी और उनके वियतनामी समकक्ष की बैठक में रक्षा एवं सुरक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग समेत कई मामलों पर चर्चा की गई। कुमार ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘समग्र सामरिक साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वियतनाम के प्रधानमंत्री गुएन शुआन फुक ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने के समान लक्ष्य पर बात की।’’
मोदी और फुक के बीच बैठक ऐसे समय में हुई है, जब कुछ ही दिन पहले ट्रंप ने वियतनाम की यात्रा की थी। इस यात्रा के दौरान ट्रंप ने वियतनाम और चीन समेत कई आसियान सदस्य देशों के बीच दक्षिण चीन सागर विवाद में मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा था। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है, दक्षिण चीन सागर हाइड्रोकार्बन का बड़ा स्रोत है। जबकि वियतनाम, फिलीपीन और ब्रुनेई समेत कई आसियान सदस्य देश भी इस पर अपना दावा करते हैं। भारत, सागर कानून पर 1982 संयुक्त राष्ट्र संधि समेत अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के अनुसार दक्षिण चीन सागर में संसाधनों तक पहुंच एवं नौवहन की स्वतंत्रता को समर्थन देता रहा है।