कोबे: जापान में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में शिरकत के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को वहां पहुंचने के बाद जापान के कोबे शहर में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जनता ने उनपर पहले से ज्यादा विश्वास और प्यार जताया है। उन्होनें कहा कि जापान में रह रहे भारतीयों ने भी लोकतंत्र को मजबूत किया और आपके उत्साह से लग रहा है कि हम सही दिशा में है। प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान लोगों ने वंदे मातरम और जय श्री राम के नारे भी लगाए। इस दौरान लोगों के बीच जबरदस्त उत्साह देखने को मिला।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि 7 महीने बाद एक बार फिर मुझे जापान की धरती में आने का मौका मिला था। पिछले बार जब मैं आया था तब मेरे मित्र सिंजो आबे पर भरोसा कर आपने उन्हें जिताया था। इस बार जब मैं आया हूं तब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत ने इस प्रधान सेवक पर पहले से ज्यादा प्यार और विश्वास जताया है। उन्होनें कहा कि 130 करोड़ भारतीयों ने पहले से भी मजबूत सरकार बनाई है। ये अपने आप में बहुत बड़ी घटना है। तीन दशक बाद पहली बार लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई है। 1971 के बाद देश ने पहली बार एक सरकार को प्रो इंकम्बेंसी जनादेश दिया है। ये जीत सच्चाई की जीत है, भारत के लोकतंत्र की जीत है।
लोगों ने लगाए वंदे मातरम और जय श्री राम के नारे
पीएम मोदी ने कहा कि लोकतंत्र के प्रति भारत के सामान्य जन की निष्ठा अटूट है। हमारी लोकतांत्रिक संस्थाएं और लोकतांत्रिक प्रणाली दुनिया में अग्रणी है।भारत की यही शक्ति 21वीं सदी के विश्व को नई उम्मीद देने वाली है। न्यू इंडिया की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ये जनादेश मिला है। जो पूरे विश्व के साथ हमारे संबंधों को नई ऊर्जा देगा।
उन्होने कहा सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के जिस मंत्र पर हम चल रहे हैं, वो भारत पर दुनिया के विश्वास को भी मजबूत करेगा। जब दुनिया के साथ भारत के रिश्तों की बात आती है तो जापान का उसमें एक अहम स्थान है। ये रिश्ते आज के नहीं हैं, बल्कि सदियों के हैं। इनके मूल में आत्मीयता है, सद्भावना है, एक दूसरे की संस्कृति और सभ्यता के लिए सम्मान है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गांधी जी की एक सीख बचपन से हम लोग सुनते आए हैं और वो सीख थी 'बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो'। भारत का बच्चा-बच्चा इसे भली भांति जानता है, लेकिन बहुत कम लोगों को ये पता है कि जिन तीन बंदरों को इस संदेश के लिए बापू ने चुना उनका जन्मदाता 70वीं सदी का जापान है। पीएम आबे को दिल्ली के अलावा अहमदाबाद और वाराणसी ले जाने का सौभाग्य मुझे मिला। पीएम आबे मेरे संसदीय क्षेत्र और दुनिया की सबसे पुरानी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नगरी में से एक काशी में गंगा आरती में शामिल हुए। उनकी ये तस्वीरें भी हर भारतीय के मन में बस गई हैं।