माले: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शासन में उन्हें हिंद महासागर के इस द्विपीय राष्ट्र के साथ द्विपक्षीय संबंधों के और प्रगाढ़ होने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां मालदीव के निर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। देश के सातवें राष्ट्रपति सोलिह ने सितंबर में हुए चुनावों में कद्दावर अब्दुल्ला यमीन को शिकस्त दी थी। राष्ट्रीय फुटबॉल स्टेडियम में हुए शपथ ग्रहण समारोह के फौरन बाद मोदी ने सोलिह से मुलाकात की और रणनीतिक महत्व रखने वाले इस देश को शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक और समृद्ध देश बनने के सभी प्रयासों में हर संभव मदद करने का भरोसा दिलाया। इस मुलाकात के दौरान मोदी ने सोलिह को भारत आने का न्योता भी दिया। मालदीव के विदेश मंत्री 26 नवंबर को भारत दौरे पर आएंगे और इस दौरान राष्ट्रपति के भारत दौरे के लिये तैयारियों को अंजाम दिया जाएगा।
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मोदी मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और मौमून अब्दुल गयूम की बगल में बैठे थे। समारोह में श्रीलंका की पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंग भी शामिल हुईं। विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार सोलिह (54) 23 सितंबर को हुए चुनावों में सबको चौंकाते हुए विजेता बने। उन्होंने तब राष्ट्रपति रहे यमीन को हराया था। संयुक्त बयान में कहा गया कि बैठक के दौरान मोदी और सोलिह इस बात पर सहमत थे कि हिंद महासागर में शांति और सुरक्षा बरकरार रखना अहम है और उन्हें क्षेत्र में स्थायित्व के लिये एक दूसरे की चिंताओं और अकांक्षाओं का ध्यान रखना होगा। भारत और मालदीव के बीच रिश्तों के लचीलेपन का जिक्र करते हुए दोनों नेताओं ने सहयोगी और मित्रवत रिश्तों को फिर से बहाल करने का भरोसा व्यक्त किया। दोनों नेताओं ने क्षेत्र के अंदर और दूसरी जगहों पर भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जाहिर की।
राष्ट्रपति सोलिह ने प्रधानमंत्री मोदी को देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति के बारे में भी जानकारी दी। बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति सोलिह ने आवास और आधारभूत विकास के साथ ही पानी और अवजल प्रणाली की बढ़ती जरूरतों पर भी ध्यान आकर्षित किया। मोदी ने कहा कि वह दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने को लेकर आशान्वित हैं। उन्होंने सोलिह को आश्वासन दिया कि भारत सतत सामाजिक और आर्थिक विकास हासिल करने में मालदीव की सहायता करने को लेकर प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय कंपनियों के लिये मालदीव के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के विस्तारित अवसरों का भी स्वागत किया जिससे दोनों देशों को परस्पर फायदा होगा। दोनों देशों ने सरल वीजा प्रक्रिया की आवश्यकता पर भी बल दिया।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने राजकीय दौरे पर भारत आने के लिये राष्ट्रपति सोलिह को आमंत्रित किया। राष्ट्रपति सोलिह ने इस निमंत्रण को सहर्ष स्वीकार कर लिया।’’ मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘मालदीव के विदेश मंत्री 26 नवंबर को भारत के आधिकारिक दौरे पर आएंगे जिससे की राष्ट्रपति सोलिह की आगामी राजकीय यात्रा के लिये तैयारियों पर चर्चा हो सके।’’ मोदी ने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मालदीव तथा दुनिया के अन्य देशों के नेताओं से बातचीत की। मालदीव की राजधानी पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी का शानदार स्वागत किया गया और नई मालदीवी संसद के अध्यक्ष कासिम इब्राहिम ने उनकी अगवानी की।
प्रधानमंत्री के तौर पर यह मोदी का पहला मालदीव दौरा है। इससे पहले 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हिंद महासागर के इस द्वीपीय देश की यात्रा की थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि यह दौरा एक विश्वसनीय पड़ोसी के तौर पर भारत की भूमिका पर जोर देता है जो मालदीव की प्रगति और सुरक्षा का समर्थन करता है। भारत और मालदीव के संबंधों में पूर्ववर्ती यमीन के शासन के दौरान तनाव देखने को मिला था क्योंकि उन्हें चीन का करीबी माना जाता है। भारतीयों के लिये कार्यवीजा पर पाबंदी लगाने और चीन के साथ नये मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर को लेकर भी भारत खुश नहीं था। यमीन द्वारा इस साल पांच फरवरी को देश में आपातकाल की घोषणा किये जाने के बाद भारत और मालदीव के रिश्तों में और कड़वाहट आ गई थी। भारत ने इस फैसले की आलोचना करते हुए उनकी सरकार से लोकतंत्र और सियासी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को फिर से बहाल करने और राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की मांग की थी। मालदीव में 45 दिन तक आपातकाल रहा था।