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चीनी सेना की भारत को धमकी, टकराव से बचना है तो 'हमारी जमीन' से हट जाओ

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के वरिष्ठ कर्नल ली ली डोकलाम से हजारों किलोमीटर दूर हैं, लेकिन...

Reported by: Bhasha
Published on: August 07, 2017 16:46 IST
Representative Image | AP Photo- India TV Hindi
Representative Image | AP Photo

हुऐरो: चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के वरिष्ठ कर्नल ली ली डोकलाम से हजारों किलोमीटर दूर हैं, लेकिन भारतीय सेना को धमकाने के लहजे में उन्होंने कहा कि टकराव से बचने के लिए ‘चीनी सरजमीं’ से हट जाएं। चीन सरकार की प्रायोजित भारतीय पत्रकारों की यात्रा सिक्किम के निकट डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के बीच जारी लंबे गतिरोध पर चीनी सेना की प्रोपेगेंडा कवायद में बदल गई। वरिष्ठ कर्नल ली ने दावा किया कि भारतीय सेना ने जो किया वह चीनी सरजमीं पर हमला है।

बीजिंग के बाहरी इलाके में स्थित छावनी के लिए ले जाए गए भारतीय पत्रकारों से उन्होंने कहा, ‘चीनी सैनिक जो सोच रहे हैं, उसके बारे में आप रिपोर्ट कर सकते हैं। मैं एक सैनिक हूं, मैं राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सब कुछ करने की कोशिश करूंगा। हम में संकल्प है।’ इस यात्रा में भारतीय मीडिया के समक्ष PLA के युद्धकौशल का विरला प्रदर्शन भी शामिल है। युद्धकौशल के प्रदर्शन में छोटे हथियारों से निशाना बनाना, आमने सामने की जंग में दुश्मन सैनिकों को पकड़ना और वास्तविक युद्धक स्थितियों से जुड़े अन्य कौशलों का प्रदर्शन शामिल था। बहरहाल, ली ने स्पष्ट किया कि इस प्रदर्शन से डोकलाम का कोई खास रिश्ता नहीं है जहां चीन के मुताबिक एक बुलडोजर के साथ 48 भारतीय सैनिक अब भी मौजूद हैं।

इससे पहले, चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि सीमा पर अब भी भारतीय सशस्त्र बलों का बड़ी संख्या में जमावड़ा है। डोकलाम में मौजूदा गतिरोध पर सवालों के जवाब में उन्होंने कहा, ‘PLA जो कुछ करेगा वह भारतीय पक्ष की कार्रवाइयों पर निर्भर करेगा। जब जरूरत होगी, हम उपयुक्त कार्वाई करेंगे। हम CPC और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की अध्यक्षता में 23 लाख सैनिकों की समग्र उच्च कमान केन्द्रीय सैन्य आयोग के आदेशों का पालन करेंगे।’ यह छावनी PLA अधिकारियों और सैनिकों के सबसे पुराने और सर्वाधिक अहम प्रशिक्षण केन्द्रों में से एक है। यह चीनी राजधानी की रक्षा के लिए भी जिम्मेदार है। छावनी में तकरीबन 11,000 सैनिक रहते हैं।

इस बीच, चीन की सरकारी मीडिया ने भारत के खिलाफ जहर उगलने का सिलसिला जारी रखा। सरकारी चाइना डेली में सोमवार को प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि सीमा में भारत की घुसपैठ के पीछे गलत भूरणनीतिक आकलन है। लेख में कहा गया है कि चीन के लिए भारतीय सेना की घुसपैठ अनापेक्षित था और यह अस्वीकार्य है क्योंकि यह सीमा के एक ऐसे खंड में हुई जिसे लंबे और कठिन सीमा विवाद के दौरान दोनों पक्षों ने अब तक किसी भी विवाद से परे माना था। इसमें कहा गया है कि भारत की घुसपैठ चीन की भौगोलिक अखंडता के उल्लंघन से कम नहीं माना गया है और अपनी सरजमीं की रक्षा के लिए उसे जो भी उपाय जरूरी लगे, उसे इस्तेमाल करने का चीन का कानूनन अधिकार है।

लेख में कहा गया है कि जहां पड़ोसियों के बीच गलतफहमियां समझी जा सकती है, भारत को विधिविहीन उकसावेबाजी नहीं, बेबाक वार्ता में जुड़ना चाहिए। चीनी सेना ने भूटान तिराहे के निकट सड़क निर्माण शुरू किया था। इसके बाद, डोकलाम को ले कर चीन और भारत के बीच 16 जून से गतिरोध है। भूटान ने यह कहते हुए चीन के समक्ष विरोध जताया कि यह इलाका उसका है। उसने चीन पर सीमा विवाद हल नहीं होने तक यथास्थिति बनाए रखने पर लक्षित संधियों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। भारत ने कहा कि सड़क निर्माण की चीनी कार्रवाई एकतरफा है और यह यथास्थिति बदलती है। उसे अंदेशा है कि सड़क से चीन पूर्वोत्तर राज्यों तक भारत की पहुंच काट सकता है।

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