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Pegasus सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी का बयान, जासूसी विवाद के बीच रखा अपना पक्ष

निगरानी सॉफ्टवेयर पेगासस (Pegasus) को लेकर विवादों के बीच इजराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी NSO ग्रुप ने अपना बचाव करते हुए दावा किया है कि खुफिया और कानून लागू करने वाली एजेंसियों को प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के कारण दुनिया में लाखों लोग रात में चैन की नींद सो पाते हैं और सुरक्षित हैं।

Written by: Bhasha
Published : July 24, 2021 17:00 IST
Pegasus सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी का बयान, जासूसी विवाद के बीच रखा अपना पक्ष
Image Source : AP Pegasus सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी का बयान, जासूसी विवाद के बीच रखा अपना पक्ष

यरुशलम: निगरानी सॉफ्टवेयर पेगासस (Pegasus) को लेकर विवादों के बीच इजराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी NSO ग्रुप ने अपना बचाव करते हुए दावा किया है कि खुफिया और कानून लागू करने वाली एजेंसियों को प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के कारण दुनिया में लाखों लोग रात में चैन की नींद सो पाते हैं और सुरक्षित हैं। कंपनी ने यह भी कहा कि वह तकनीक का संचालन नहीं करती है और न ही उसके पास अपने ग्राहकों द्वारा एकत्र किए गए डेटा तक पहुंच है। भारत समेत कई देशों में पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, नेताओं और अन्य लोगों की जासूसी करने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर के कथित इस्तेमाल ने गोपनीयता से संबंधित मुद्दों पर चिंता पैदा कर दी है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ के मुताबिक, इजराइली कंपनी द्वारा विभिन्न सरकारों को बेचे गए स्पाईवेयर के जरिए नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों समेत अन्य लोगों को निशाना बनाया गया। 

NSO के एक प्रवक्ता ने दावा किया, ‘‘पेगासस और ऐसी अन्य तकनीक के कारण ही दुनिया में लाखों लोग रात को चैन की नींद सो पाते हैं और सड़कों पर सुरक्षित निकल पाते हैं। इस तरह की प्रौद्योगिकी से खुफिया और कानून लागू करने वाली एजेंसियां इनक्रिप्टेड ऐप के तहत छिपायी गयी सूचनाओं का पता लगाकर अपराध, आतंकवादी घटनाओं को रोक पाती हैं।’’ कंपनी ने कहा, ‘‘दुनिया में कई अन्य साइबर खुफिया कंपनियों के साथ NSO, सरकारों को साइबर सुरक्षा उपकरण मुहैया कराती है क्योंकि कानून लागू करने वाली एजेंसियों के पास पुख्ता प्रणाली नहीं होती और मैसेजिंग तथा सोशल मीडिया पर संदिग्ध विषयवस्तु की निगरानी के लिए नियामकीय समाधान नहीं हैं।’’ 

दुनियाभर में जारी इस जासूसी सॉफ्टवेयर पर विवाद पर प्रवक्ता ने कहा, ‘‘NSO तकनीक का संचालन नहीं करती है और न ही हमारे पास एकत्र किए गए डेटा को देखने की सुविधा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम एक सुरक्षित दुनिया बनाने में मदद करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।’’ सॉफ्टवेयर के दुरुपयोग को लेकर पहली बार भारत में यह मुद्दा सामने आने पर NSO ने अक्टूबर 2019 में पीटीआई-भाषा को एक लिखित जवाब में कहा था कि ‘‘अनुबंध के तहत गंभीर अपराध और आतंकवाद को रोकने के सिवा किसी अन्य मामले में हमारे उत्पाद के इस्तेमाल पर निषेध है।’’ 

कंपनी ने कहा था, ‘‘यदि हमें (सॉफ्टवेयर के) किसी दुरुपयोग का पता चलता है तो हम कार्रवाई करते हैं। यह तकनीक मानव अधिकारों की सुरक्षा में निहित है। इसमें जीवन का अधिकार, सुरक्षा और अखंडता शामिल है। हमने व्यापार और मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों को मानने की मांग की है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे उत्पाद सभी मौलिक मानवाधिकारों का सम्मान करे।’’ कंपनी ने कहा कि यह रुख आज भी बरकरार है। 

भारत को सॉफ्टवेयर बेचे जाने की पुष्टि या खंडन किए बिना कंपनी ने कहा था कि उसके ‘‘उत्पादों को सरकारी खुफिया और कानून लागू करने वाली एजेंसियों को लाइसेंस पर दिया जाता है, जिसका एकमात्र उद्देश्य आतंक और गंभीर अपराध को रोकना और जांच करना है।’’ नवीनतम विवाद के बीच इजराइल ने एनएसओ ग्रुप के निगरानी सॉफ्टवेयर के दुरुपयोग के आरोपों की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की है और ‘‘लाइसेंस देने के पूरे मामले की समीक्षा’’ का संकेत दिया है।

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