इस्लामाबाद: पाकिस्तान के एक उच्च न्यायालय ने जेलों में क्षमता से अधिक कैदी रखने को ‘‘असंवैधानिक’’ करार दिया और व्यवस्था दी कि कोई भी कैदी कैद के दौरान अमानवीय व्यवहार होने पर सरकार और जेल अधिकारियों के खिलाफ वाद दायर कर सकता है। डॉन की खबर के मुताबिक रावलपिंडी की अडियाला जेल के कैदियों की याचिका पर इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने संघीय सरकार और इस्लामाबाद आयुक्त को आदेश दिया कि वे कैदियों की कुशलक्षेम से संबंधित जेल नियमावली के प्रावधानों और अंतररराष्ट्रीय संधियों को देखें। मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्ला ने इस संबंध में 38 पृष्ठ का फैसला दिया। फैसले में कहा गया कि जेल में अमानवीय व्यवहार का सामना करनेवाले कैदी जेल अधिकारियों और राज्य से मुआवजा मांगने के हकदार हैं।
खबर में कहा गया कि याचिका दायर करनेवाले कैदियों ने दावा किया कि वे जेल अधिकारियों के दंड के डर से अपनी दुर्दशा के बारे में बताने के लिए अदालतों तक नहीं पहुंच सके। जेलों में कैदियों की दशा के बारे में पता लगाने के लिए अदालत द्वारा गठित आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कैदियों की संख्या लगभग 74 हजार है जबकि अधिकृत क्षमता 55,634 कैदियों की है।
इसमें कहा गया कि देशभर में 73,721 कैदियों में से 60 प्रतिशत (44,847) कैदियों को किसी अदालत ने दोषी नहीं ठहराया है और इनमें से अनेक लोग एचआईवी, क्षय, हेपेटाइटिस और मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हैं। जेलों में उचित चिकित्सा सुविधाओं, डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों की कमी है। अदालत ने संघीय सरकार को इस संबंध में तुरंत उचित कदम उठाने का आदेश दिया।