लाहौर: पाकिस्तान की एक अदालत ने एक ईसाई व्यक्ति और उसकी गर्भवती पत्नी को जिंदा जला कर मार डालने के आरोपी 20 लेगों को बरी कर दिया है। 2014 में लाहौर के बाहरी इलाके में ईशनिंदा का आरोप लगाकर इस ईसाई दंपती की हत्या कर दी गई थी। शहजाद मसीह और उनकी पत्नी शमा कोट राधा किशन इलाके में एक ईंट भट्टे पर मजदूर के तौर पर काम करते थे। नवंबर 2014 में इन दोनों को कुरान को अपवित्र करने के आरोप में करीब 1,000 लोगों की भीड़ ने पीटा और जिंदा जला दिया।
एक स्थानीय धर्मगुरू ने इस काम के लिए कथित तौर पर ग्रामीणों को उकसाया था। दंपति को निर्ममता से प्रताड़ित किया गया और भीड़ ने उन्हें भट्ठे में फेंक दिया। पुलिस ने इस मामले में दर्जनों ग्रामीणों को गिरफ्तार किया था और 2016 में एक निचली अदालत ने एक मौलवी सहित 5 लोगों को मौत की सजा सुनाई थी। इसके अलावा दंपति की हत्या के आरोप में 10 अन्य लोगों को विभिन्न अवधि की जेल की सजा सुनाई थी। लाहौर की एक आतंक रोधी अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए शनिवार को 20 संदिग्धों को बरी कर दिया।
गौरतलब है कि पाकिस्तान में ईशनिंदा को एक जघन्य अपराध माना जाता है। अक्सर इस देश में झूठे आरोपों में भी लोगों की जान जाने की खबरें आती रहती हैं। अप्रैल 2017 में पाकिस्तान के एक सूबे ख़ैबर पख्तूनख्वाह की अब्दुल वली ख़ान यूनिवर्सिटी में मशाल खान नाम के एक छात्र की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 13 अप्रैल 2017 को यूनिवर्सिटी में शोर मचा था कि मशाल खान और उनके 2 दोस्तों ने इस्लाम का अपमान किया है, जिसके बाद छात्रों की एक भीड़ ने मशाल खान को घेर लिया और मार डाला।