इस्लामाबाद: पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा है कि इस्लामाबाद कभी भी भारत द्वारा जम्मू एवं कश्मीर को स्वायत्त दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाया जाना स्वीकार नहीं करेगा। रेडियो पाकिस्तान के अनुसार, फैसल ने शुक्रवार को अपने साप्ताहिक प्रेसवार्ता के दौरान यह टिप्पणी की।
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान कभी भी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द किया जाना स्वीकार नहीं करेगा। कश्मीरी लोग भी ऐसा कभी नहीं होने देंगे।" प्रवक्ता ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, "कश्मीरियों के अधिकारों का उल्लंघन करने के अलावा, यह प्रासंगिक यूएनएससी (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) के प्रस्तावों का भी उल्लंघन करेगा।"
अनुच्छेद 370 को अक्टूबर 1949 में भारत के संविधान में शामिल किया गया था। यह जम्मू एवं कश्मीर को देश का संविधान मानने में छूट देता है और राज्य को अपना मसौदा तैयार करने की अनुमति देता है। यह जम्मू एवं कश्मीर के निवासियों और उनके विशेषाधिकारों को परिभाषित करने के लिए राज्य विधायिका को शक्ति भी देता है।
फैसल ने खेद व्यक्त किया कि भारत ने इस सप्ताह की शुरुआत में करतारपुर गलियारे की बैठक स्थगित कर दी। रेडियो पाकिस्तान ने प्रवक्ता के हवाले से कहा, "भारतीय पक्ष ने इस महीने की 15 और 16 तारीख को इस मुद्दे पर एक तकनीकी-स्तरीय बैठक में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की है। उम्मीद है कि इससे आगे की वार्ता को गति मिलेगी।"
उन्होंने इस साल के अंत में सिख संस्थापक गुरु नानक की 550वीं जयंती से पहले करतारपुर कॉरिडोर से जुड़े अपने काम को पूरा करने के लिए पाकिस्तान की प्रतिबद्धता को दोहराया। फैसल ने यह भी घोषणा की कि पाकिस्तान आठ अप्रैल से सजा के पूरा होने पर मानवीय आधार पर 360 भारतीय कैदियों- 483 मछुआरों, 54 नागरिकों को रिहा कर रहा है। उन्होंने कहा कि सौ मछुआरों को सोमवार (आठ अप्रैल) को और अन्य सौ मछुआरों के एक समूह को इस महीने की 15 तारीख को छोड़ा जाएगा।
फैसल ने कहा, "इसके बाद 22 अप्रैल को अतिरिक्त 100 मछुआरों की रिहाई होगी।" उन्होंने कहा कि 60 भारतीय कैदियों के अंतिम खेप- पांच मछुआरे, 55 नागरिक 29 अप्रैल को रिहा किए जाएंगे।