कराची: पाकिस्तान के हुक्मरान औऱ नौकरशाह कितने भी दावे क्यों न करें कि 1965 की भारत-पाक लड़ाई में दोनों देश बराबरी पर रहे थे या पाकिस्तान बेहतर स्थिति में था, लेकिन सच्चाई अब सामने आ गई है। एक पाकिस्तानी इतिहासकार ने स्वीकार कर लिया है कि उस युद्ध में पाकिस्तान बुरी तरह हारा था।
डॉन द्वारा शनिवार को जारी रपट के मुताबिक इतिहासकार और राजनीतिक अर्थशास्त्री अकबर एस. जैदी ने पाकिस्तान के जीत के भ्रम को यह कह कर अस्वीकार कर दिया कि इससे बड़ा झूठ नहीं हो सकता, क्योंकि पाकिस्तान बुरी तरह हारा था। कराची में इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में इतिहास के प्राध्यापक जैदी, कराची युनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ सोशल साइंसेज द्वारा आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे।
जैदी ने कहा कि लोग इस बात से अनभिज्ञ हैं, क्योंकि पाकिस्तान में इतिहास नतिक दृष्टिकोण के आधार पर पढ़ाया जाता है। 'पाकिस्तान के इतिहास पर सवाल' विषय पर अपने भाषण में जैदी ने कहा, "विद्यार्थियों को पाकिस्तान के लोगों का इतिहास नहीं पढ़ाया जाता, बल्कि यह पाकिस्तान के निर्माण पर केंद्रित होता है।"
जैदी ने लोगों को राजनैतिक और कूटनीति विश्लेषक शुजा नवाज की किताब 'क्रॉस्ड स्वॉड्रर्स' पढ़ने की सलाह दी, जो कि युद्ध की सच्चाई बयां करती है। अपने भाषण के दौरान जैदी ने कई सवाल पूछे। मसलन पाकिस्तान का इतिहास क्या है और क्या पाकिस्तान का इतिहास पूछने की जरूरत है? पाकिस्तान कब बना? 14 अगस्त, 1947 या 15 अगस्त, 1947?
पाकिस्तान कब बना के सवाल पर जैदी ने कहा कि वास्तव में यह 14 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में आया था, लेकिन पाकिस्तान के स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली एक पुस्तक का अंश पढ़ते हुए जैदी ने कहा कि पुस्तक में दावा किया गया है कि यह 712 ईस्वी में अस्तित्व में आया, जब अरब सिंध और मुल्तान आए।
किताब के उद्धरण को अस्वीकार करते हुए जैदी ने कहा, "यह बिल्कुल बकवास है।" कुछ सवालों का जवाब देते हुए जैदी ने बताया कि कराची के शैक्षणिक विकास में पारसियों और हिंदुओं और पंजाब में सिख लोगों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
जैदी ने कहा, "पाकिस्तान को भौगोलिक परिदृश्य में देखने की जरूरत है।" अलग पहचान के सवाल पर जैदी ने कहा, "ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं है। मैं एक ही साथ सिंधी, हिंदू और पाकिस्तानी भी हो सकता हूं।"
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