नई दिल्ली: फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के सामने ये साबित हो गया है कि पाकिस्तान ने अपनी ज़मीन से आतंकियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया और वो दुनिया में दिखावा ही करता रह गया। यही वजह है कि ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए छटपटा रहे पाकिस्तान पर ब्लैक लिस्ट होने का खतरा मंडराने लगा है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को 5 महीने दिए हैं। अगर इन पांच महीनों में भी पाकिस्तान नहीं सुधरा तो वो ब्लैक लिस्ट हो जाएगा।
एफएटीएफ की बैठक पेरिस में हो रही है जहां पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने के फैसले का आज औपचारिक ऐलान हो जाएगा। धन शोधन और आतंक वित्तपोषण रोकने को लेकर पाकिस्तान द्वारा उचित कदम नहीं उठाने से असंतुष्ट एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट से लिंक किया है और फरवरी 2020 में इस मामले पर अंतिम निर्णय लेगा।
पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता उमर हमीद खान से इस खबर की पुष्टि के लिए संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने कहा, "यह सच नहीं है और 18 अक्टूबर से पहले ऐसा कुछ भी नहीं है।" आर्थिक मामलों के मंत्री हम्माद अजहर की अगुवाई में एक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने बैठक में कहा कि इस्लामाबाद ने 27 में से 20 बिंदुओं में सकारात्मक प्रगति की है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कदमों और विभिन्न क्षेत्रों में इसकी प्रगति पर संतोष व्यक्त किया।
जहां एक ओर चीन, तुर्की और मलेशिया ने पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की, वहीं, भारत ने इस दलील पर इस्लामाबाद को ब्लैक लिस्टि करने की सिफारिश की है कि इसने हाफिज सईद को अपने फ्रीज खातों से धन निकालने की अनुमति दी है। पाकिस्तान में दी जाने वाली कर माफी योजना पर भी चिंता जताई गई।
तुर्की, चीन और मलेशिया द्वारा एक साथ दिए गए समर्थन के आधार पर एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में शामिल नहीं करने और बाकी कदम उठाने के लिए और अधिक समय देने का फैसला किया। 36 देशों वाले एफएटीएफ चार्टर के अनुसार, किसी भी देश को ब्लैकलिस्ट नहीं करने के लिए कम से कम तीन देशों के समर्थन की आवश्यकता होती है।