लाहौर: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को घोषणा की कि उनका देश बहुप्रतीक्षित करतारपुर गलियारे को 9 नवंबर को खोलेगा। यह प्रस्तावित गलियारा करतारपुर के दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक धर्मस्थल से जोड़ेगा जिससे उससे भारतीय श्रद्धालु वीजा मुक्त आवाजाही कर पाएंगे।
श्रद्धालुओं को करतारपुर साहिब जाने के लिए बस एक परमिट लेना होगा। गुरू नानक देवजी ने 1522 में करतारपुर साहिब की स्थापना की थी। पाकिस्तान भारतीय सीमा से करतारपुर के गुरूद्वारा दरबार साहिब तक गलियारे का निर्माण कर रहा है जबकि पंजाब के डेरा बाबा नानक से सीमा तक गलियारे का दूसरा हिस्सा भारत बनाएगा।
खान ने फेसबुक पर लिखा, ‘‘पाकिस्तान दुनियाभर के सिखों के लिए अपने दरवाजे खोलने के लिए पूरी तरह तैयार है और करतारपुर परियोजना पर निर्माण कार्य अंतिम चरण में पहुंच चुका है। उसे नौ नवंबर, 2019 को लोगों के लिए खोल दिया जाएगा।’’ इस तरह खान ने संशय के बादल दूर कर दिए हैं कि क्या 12 नवंबर को सिख धर्म के संस्थापक गुरू नानक देव जी की 550वीं जयंती के मौके पर गलियारा खोला जाएगा या नहीं।
उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया के सबसे बड़े गुरूद्वारा में भारत और विश्व के अन्य हिस्सों से सिख आयेंगे। यह सिखों के लिए एक बड़ा धार्मिक केंद्र बन जाएगा और इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, देश के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित होगी तथा यात्रा एवं आतिथ्य समेत विभिन्न क्षेत्रों में नौकरियां पैदा होंगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान में धार्मिक पर्यटन बढ़ रहा है। पहले बौद्ध भिक्षु धार्मिक रीति-रिवाजों के लिए आए थे और अब करतारपुर गलियारा खोला जा रहा है।’’
इससे पहले दस अक्टूबर को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने यह कहकर उद्घाटन की तारीख पर संशय पैदा कर दिया था कि ‘अबतक कोई तारीख तय नहीं की गयी है’। उधर, परियोजना की अगुवाई कर रहे एक अन्य पाकिस्तानी वरिष्ठ अधिकारी ने घोषणा की थी कि पाकिस्तान भारतीय सिख श्रद्धालुओं को नौ नवंबर से करतारपुर साहिब जाने की अनुमति देगा।
रविवार को ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने करतारपुर गलियारा उद्घाटन कार्यक्रम में ‘एक आम आदमी’ के रूप में शामिल होने के लिए उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने तीन अक्टूबर को कहा था कि सिंह करतारपुर गलियारे के खुलने के बाद विशाल कार्यक्रम में शामिल होने के लिए करतारपुर गुरद्वारा जाने वाले पहले सर्वदलीय जत्थे का हिस्सा बनने पर राजी हो गए हैं।