इस्लामाबाद: पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत ने पनामा पेपर्स मामले में 28 जुलाई को आए फैसले के खिलाफ शुक्रवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, उनके बच्चों और वित्तमंत्री इशाक डार की समीक्षा याचिकाओं को खारिज कर दिया। शरीफ, उनकी संतानों और डार ने सुप्रीम कोर्ट के 28 जुलाई के फैसले को चुनौती देते हुए अलग-अलग याचिकायें दायर की थीं। इस फैसले में अदालत ने 67 वर्षीय शरीफ को पद पर बने रहने के लिए अयोग्य करार दिया था।
कोर्ट की जस्टिस आसिफ सईद खोसा की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने 28 जुलाई के अदालत के फैसले की समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई की। उस आदेश में न्यायालय ने 67 वर्षीय शरीफ को बेइमानी के मामले में अयोग्य ठहराते हुए उनके, उनकी संतानों हुसैन, हसन और मरियम नवाज तथा दामाद मोहम्मद सफदर तथा डार के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करने को कहा था। गौरतलब है कि शुक्रवार को समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई कर रही 5 जजों की पीठ ने ही शरीफ को अयोग्य करार दिया था। जस्टिस खोसा ने कहा, ‘कारणों का खुलासा बाद में किया जाएगा, इन सभी समीक्षा याचिकाओं को रद्द किया जाता है।’ मामले की सुनवाई सोमवार को शुरू हुई थी और पूरे सप्ताह चलती रही।
समीक्षा याचिका खारिज होने के बाद, शरीफ संसद सदस्य के रूप पहले के फैसले के अनसुार अयोग्य रहेंगे। शरीफ परिवार और डार को जवाबदेही अदालत में राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो के समक्ष भ्रष्टाचार के मामले का सामना करना पड़ेगा। हालांकि, यदि शरीफ की पार्टी अगले आम चुनावों में दो-तिहाई बहुमत से जीत कर सत्ता में आती है तो वह संविधान में संशोधन करके आजीवन अयोग्यता को सीमित अवधि में तब्दील कर सकती है। वहीं, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता ने फवद चौधरी ने कहा कि अदालत का फैसला देश के लिए जीत है।