इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने भारतीय बलों द्वारा नियंत्रण रेखा (एलओसी) से लगे क्षेत्रों में कथित संघर्षविराम उल्लंघनों पर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए रविवार को एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक को तलब किया। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने आरोप लगाया कि शनिवार को राखचीकरी सेक्टर में गोलीबारी से एक नागरिक घायल हो गया। भारतीय पक्ष से 2003 के संघर्षविराम समझौते का सम्मान करने, इस घटना के साथ ही संघर्षविराम उल्लंघन की ऐसी अन्य घटनाओं की जांच करने और नियंत्रण रेखा एवं कामकाजी सीमा पर शांति बनाए रखने को कहा गया।
पाकिस्तान सरकार ने 50 पायलटों का लाइसेंस रद्द किया
पाकिस्तान सरकार ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर विमान उड़ाने को लेकर 50 पायलटों का लाइसेंस रद्द कर दिया है और प्रशासन इस बात की जांच करेगा कि उन्होंने गलत तरीके से प्रमाणपत्र कैसे हासिल किये। देश के नागर विमानन प्राधिकरण (सीएए) ने यहां एक शीर्ष अदालत को यह जानकारी दी। फर्जी लाइसेंसों का मुद्दा इस साल 22 मई को कराची में पाकिस्तान एयरलाइंस (पीआईए) के विमान के त्रासद हादसे की पृष्ठभूमि में उठा था। इस हादसे में 97 लोगों की जान गयी थी।
पाकिस्तान के विमानन मंत्री गुलाम सरवर खान ने मीडिया को बताया कि देश के सक्रिय 860 पायलटों में 260 के पास या तो फर्जी लाइसेंस हैं या उन्होंने परीक्षा में गड़बड़ी की। उनके नाम इसलिए सार्वजनिक किये गये ताकि पाकिस्तान से बाहर काम करने वाले अन्य पायलटों के बारे में नकारात्मक धारणा न बने। डॉन अखबार ने खबर दी है कि अधिकारियों ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय को बताया कि अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन की जरूरतों के हिसाब से उन्होंने 860 वाणिज्यिक पायलटों के लाइसेंसों की समीक्षा की और सघन जांच के बाद उनमें से 50 के लाइसेंस रद्द कर दिये।
अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल तारिक महमूद खोखर ने अदालत में दायर रिपोर्ट में बताया कि ये पायलट राष्ट्रीय कंपनी पीआईए, अन्य पाकिस्तानी निजी एवं विदेशी एयरलाइनों में काम कर रहे थे। उन्होंने पायलट सैयद सकलैन हैदर की याचिका के जवाब में यह बात कही। रिपोर्ट के अनुसार संघीय जांच एजेंसी को उन पायलटों के खिलाफ कार्रवाई का जिम्मा दिया गया है जिन्होंने गलत तरीके से लाइसेंस हासिल किए थे। नागर विमानन प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार 259 लाइसेंसों की सत्यापन प्रक्रिया पूरी कर ली गयी थी। उचित प्रक्रिया के बाद छह जुलाई को 28 पायलटों के लाइसेंस को रद्द करने की रिपोर्ट मंत्रिमंडल के समक्ष रखी गयी थी जिसने अगले ही दिन उसे मंजूरी दे दी थी। याचिकाकर्ता भी उन्हीं 28 पायलटां में शामिल था।