इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ को एक मामले में कल दोपहर तक अदालत में पेश होने को कहा है और कहा है कि एक कमांडो अपने वतन लौटने को लेकर इतना डर कैसे सकता है। मुशर्रफ के खिलाफ दायर इस मामले में उन्हें आजीवन अयोग्य ठहराया जा सकता है। डॉन की खबर के मुताबिक , पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश साकिब निसार ने चेताया कि पूर्व राष्ट्रपति अगर कल दोपहर दो बजे तक अदालत में पेश नहीं होते हैं तो कानून के मुताबिक फैसला लिया जाएगा। प्रधान न्यायाधीश मुशर्रफ की अपील की सुनवाई कर रही तीन न्यायाधीश की बैंच की अगुवाई कर रहे हैं। पूर्व सैन्य शासक ने पेशावर उच्च न्यायालय द्वारा 2013 में उन्हें अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील की है। (सिंगापुर शिखर वार्ता की देखादेखी शहबाज शरीफ ने किया भारत से शांति वार्ता शुरू करने का आह्वान )
पिछले हफ्ते शीर्ष अदालत ने 74 वर्षीय मुर्शरफ को 25 जुलाई को होने वाले आम चुनाव के लिए इस शर्त पर नामांकन दाखिल करने की इजाजत दे दी थी कि वह आज लाहौर में अदालत के सामने पेश होंगे और मामले की सुनवाई में हिस्सा लेंगे। चित्राल की एनए -1 सीट से परवेज मुशर्रफ के नामांकन के दस्तावेज इस हफ्ते के शुरू में दाखिल किए गए। शीर्ष अदालत ने उनके राष्ट्रीय पहचान पत्र और पासपोर्ट पर रोक हटाने के निर्देश दिए थे ताकि उन्हें आने में दिक्कत नहीं हो , बावजूद इसके पूर्व तानाशाह अदालत में पेश नहीं हुए। न्यायमूर्ति निसार ने आज कहा , ‘‘ सुप्रीम कोर्ट मुशर्रफ की शर्तें मानने के लिए बाध्य नहीं है। ’’ उन्होंने कहा , ‘‘ हम पहले ही कह चुके हैं कि अगर मुशर्रफ वापस आते हैं तो उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। हम लिखित गारंटी देने के लिए बाध्य नहीं है। ’’
न्यायमूर्ति निसार ने कहा कि परवेज मुशर्रफ बार - बार यह न दोहराएं कि वह सियासतदां की तरह लौटेंगे , अगर वह कमांडो हैं तो वह वापस आकर हमें दिखाएं। उन्होंने कहा , ‘‘ मुशर्रफ को संरक्षण की जरूरत क्यों है ? किस चीज से वह इतना डर रहे हैं। न्यायमूर्ति निसार ने कहा , ‘‘ एक कमांडो इतना कैसे डर सकता है ? मुशर्रफ कहते हैं कि उनकी जान कई बार बाल - बाल बची है , लेकिन वह कभी नहीं डरे। ’’ उन्होंने कहा , ‘‘ मुशर्रफ को संविधान , कानून , राष्ट्र और अदालतों का सामना करना चाहिए। ’’ मुशर्रफ ने 1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर शासन किया है।