इस्लामाबाद: दुनियाभर में कश्मीर को लेकर दुहाई देने वाले पाकिस्तान का सांप्रदायिक चेहरा एक बार फिर बेनकाब हो गया है। भारत पर कश्मीर को लेकर तमाम झूठे एवं मनगढ़ंत आरोप लगाने वाले पाकिस्तान की संसद ने एक विधेयक को फिलहाल रोक दिया है जिसमें संविधान संशोधन के जरिए गैर-मुस्लिमों को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनने की अनुमति इजाजत देने का प्रावधान था। गौर करने वाली बात यह है कि इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान में आज तक एक भी गैर-मुस्लिम प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति नहीं बन पाया है।
विधेयक लाना चाहते थे ईसाई सांसद
पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के ईसाई सांसद डॉक्टर नवीद आमिर जीवा बुधवार को विधेयक प्रस्तुत करना चाहते थे। विधेयक के जरिए जीवा चाहते थे कि अनुच्छेद 41 और 91 में संशोधन कर गैर-मुस्लिमों को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनने की अनुमति प्रदान की जाए। हालांकि संसदीय मामलों के राज्यमंत्री अली मुहम्मद ने प्रस्तावित विधेयक का विरोध किया। मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान एक इस्लामिक गणराज्य है जहां केवल एक मुस्लिम ही प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बन सकता है।
मौलाना अब्दुल ने किया अली के विरोध का स्वागत
दक्षिणपंथी दल जमात-ए-इस्लामी के सदस्य मौलाना अब्दुल अकबर चित्राली ने इस कदम का स्वागत किया। आपको बता दें कि पाकिस्तान अक्सर कहता है कि वह अपने यहां अल्पसंख्यकों के साथ अच्छा सलूक करता है, लेकिन हकीकत यह है कि वहां ठीक-ठाक हैसियत वाले सरकारी पदों पर बहुत ही कम गैर-मुस्लिमों को मौके मिले हैं। यहां तक कि गैर-मुस्लिमों पर अत्याचार की तमाम खबरें पाकिस्तान ने आए दिन आती ही रहती हैं। इस खास विधेयक को रोककर पाकिस्तानी संसद ने एक बार फिर अपने मुल्क का सांप्रदायिक चेहरा दुनिया के सामने पेश किया है।