इस्लामाबाद: पाकिस्तान की मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील आसमा जहांगीर का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। 66 वर्षीय आसमा ने रविवार को लाहौर में अंतिम सांस ली। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आसमा को हार्ट अटैक के बाद लाहौर के फिरोज़पुर रोड अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल करने वाली आसमा पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की पहली महिला अध्यक्ष थीं। रिपोर्टस के मुताबिक, वह कैंसर से भी पीड़ित थीं और कई सालों से अपना इलाज करवा रही थीं। आसमा अपने पीछे दो बेटियां और एक बेटा छोड़ गईं हैं। उनकी बेटी मुनीजे जहांगीर एक टीवी ऐंकर हैं।
आसमा ने पाकिस्तानी राजनीति में सेना की भूमिका को लेकर हमेशा आलोचना की थी। उन्होने पाकिस्तान के जियाउल हक की तानाशाही सरकार के खिलाफ जमकर आवाज उठाई थी। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI पर उनहोंने कई बार बेहद गंभीर आरोप लगाए थे और उनसे अपनी जान को खतरा बताया था। आसमा को हाशिए पर रहने वाले लोगों के मुकदमे लड़ने के लिए भी जाना जाता था। आसमा ने कई बार सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की भी आलोचना की थी। वह पाकिस्तान की उन गिनी-चुनी आवाजों में शामिल थीं जो खुले तौर पर सैन्य शासन और सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलती थीं।
आसमा जहांगीर का जन्म 1952 में लाहौर में हुआ था। उन्होंने किनार्ड कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद 1978 में पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की। वह पाकिस्तान ह्यूमन राइट्स कमीशन की सह-संस्थापक थीं और उन्होंने 1987 से लेकर 2011 तक इस संस्था के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली थी। पाकिस्तान के चीफ जस्टिस सकीब निसार और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने पाकिस्तान की इस मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता को श्रद्धांजलि दी।