इस्लामाबाद: पाकिस्तान के विदेश विभाग ने कहा कि देश की परमाणु नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह बयान प्रधानमंत्री इमरान खान के बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कश्मीर मुद्दे पर बढ़ते तनाव के मद्देनजर पाकिस्तान, भारत के साथ कभी युद्ध की शुरुआत नहीं करेगा। लाहौर स्थित गवर्नर हाउस में सोमवार शाम को सिख समुदाय के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु संपन्न देश हैं और अगर तनाव बढ़ता है तो दुनिया को खतरे का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने बिना कुछ स्पष्ट किए कहा, ‘‘हमारे तरफ से कभी पहल नहीं होगी।’’ कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश में नाकाम होने के बाद इमरान लगातार भारत के साथ परमाणु युद्ध की संभावना की धमकी दे रहे हैं। इमरान ने यह भी कहा कि संघर्ष से मामले सुलझाने के बजाय और समस्याएं पैदा होंगी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारत से कहना चाहता हूं कि युद्ध से किसी समस्या का हल नहीं होगा। युद्ध में विजेता भी खोने वाला होता है। युद्ध कई अन्य समस्याओं को जन्म देती है।’’
इसपर पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने कहा कि इमरान के बयान को संदर्भ से परे होकर समझा गया और यह इस्लामाबाद की परमाणु नीति में बदलाव को इंगित नहीं करता। विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने सोमवार देर रात ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री की दो परमाणु संपन्न देशों के बीच संघर्ष के मामले में पाकिस्तान के रुख को लेकर की गई टिप्पणी को संदर्भ से अलग समझा गया। चूंकि दो परमाणु संपन्न देशों में संघर्ष नहीं होगा ऐसे में पाकिस्तान की परमाणु नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ।’’
उल्लेखनीय है कि अगस्त में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि भारत परमाणु हथियार सिद्धांत में बड़े बदलाव हो सकते हैं भविष्य में ‘पहले इस्तेमाल नहीं’ नीति को छोड़ा जा सकता है। 1998 में किए गए परमाणु प्रशिक्षण के स्थल, राजस्थान के पोखरण में आयोजित कार्यक्रम में सिंह ने कहा था, ‘‘आज तक हमारी पहले परमाणु हथियार इस्तेमाल नहीं करने की नीति थी लेकिन भविष्य में क्या होगा यह परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।”
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव उस समय बढ़ गया जब भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को निष्प्रभावी कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया। भारत ने साफ कर दिया है कि अनुच्छेद-370 को हटाने का फैसला उसका अंदरूनी मामला है और पाकिस्तान को सच्चाई स्वीकार करनी चाहिए।