इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने युद्ध ग्रस्त देश अफगानिस्तान में शांति लाने की कोशिशों में सहयोग करने का अपना संकल्प दोहराते हुए शनिवार को स्पष्ट किया कि वह इस पड़ोसी देश पर अपना प्रभाव कायम करने की नहीं सोच रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मुरी में अफगान शांति पर आयोजित सम्मेलन ‘लाहौर प्रक्रिया’ में यह टिप्पणी की।
उन्होंने कहा कि इसे पूरी तरह से स्पष्ट करता हूं। पाकिस्तान में कोई भी व्यक्ति अफगानिस्तान में यह तथाकथित प्रभाव स्थापित करना नहीं चाहता है। साथ ही किसी और को भी हमारे और अफगानिस्तान के बीच गलतफहमी का बीज नहीं बोने दिया जाएगा।
दरअसल, कुछ विशेषेज्ञों ने ‘स्ट्रेटेजिक डेप्थ’ का विचार दिया था, जिसके मुताबिक काबुल पर प्रभाव रखने से पाकिस्तान को भारत के साथ युद्ध की स्थिति में बढ़त हासिल रहेगी। गौरतलब है कि अमेरिका ने अतीत में संकेत दिया था कि उसकी योजना अफगानिस्तान में भारत को एक भूमिका देने की है, जहां बरसों से पाकिस्तान का यह स्पष्ट रुख रहा है कि भारत को अफगानिस्तान में कोई भूमिका नहीं निभानी है।
कुरैशी ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच अविश्वास था लेकिन इसके लिए दोनों देशों के ‘‘दुश्मनों’’ को जिम्मेदार ठहराया। यह सम्मेलन खासा मायने रखता है क्योंकि यह अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी की 27 जून को पाक यात्रा से ठीक पहले हो रहा है।