इस्लामाबाद: एक युवक के फर्जी मुठभेड़ के सिलसिले में वांछित एक निलंबित पुलिस अधिकारी को बुधवार को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में सुप्रीम कोर्ट के परिसर में गिरफ्तार कर लिया गया। पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राव अनवर जनवरी में कराची में 27 साल के नकीबुल्ला महसूद की न्यायेत्तर हत्या को लेकर स्वत: संज्ञान मामलों की सुनवाई कर रहे कोर्ट के सामने पेश हुए। उनका अचानक पेश होना हैरान करने वाला था क्योंकि कोर्ट द्वारा समयसीमा तय करने के बावजूद पुलिस एवं खुफिया एजेंसियां उसका पता नहीं लगा पाई थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि फरार पुलिस अधिकारी अगर बेगुनाह है तो वह कोर्ट में पेश होकर एवं कानूनी प्रक्रिया का सामना कर ही खुद को बचा सकता है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सादिक निसार के नेतृत्व वाली 3 जजों की पीठ ने अनवर की जमानत याचिका खारिज कर दी और पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दिया। पीठ ने मामले की जांच के लिए एक 5 सदस्यीय संयुक्त जांच दल का गठन करने का भी आदेश दिया। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि अनवर को देश से बाहर जाने की मंजूरी ना दी जाए।
गौरतलब है कि 27 वर्षीय ऐक्टर नकीबुल्ला के दोस्तों और रिश्तेदारों ने सोशल मीडिया पर इस दावे को गलत बताया था कि उत्तरी वजीरिस्तान का रहने वाला यह युवक प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का कमांडर था। नकीबुल्ला के दोस्तों ने दावा किया था कि वह सोशल मीडिया का ‘किंग’ बनना चाहता था। उन्होंने बताया कि वह कराची में एक कपड़े की दुकान भी खोलना चाहता था। नकीबुल्लाह के दोस्तों के मुताबिक उसने कभी भी किसी आतंकी संगठन से जुड़ाव के बारे में कोई बात नहीं की थी और राव अनवर द्वारा लगाए गए आरोप आधारहीन हैं।
वहीं, जांच समिति ने पाया कि नकीब की उत्तरी वजीरिस्तान के सोहराब गोठ इलाके में एक दुकान थी और वह मॉडलिंग और ऐक्टिंग में करियर बनाना चाहता था। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच इस मुद्दे पर सोहराब गोठ क्षेत्र में झड़पें हुई थीं जिसमें कई घायल हुए थे। कराची के बाहरी क्षेत्र में 13 जनवरी को अनवर के नेतृत्व में दल ने नकीब और 3 अन्य संदिग्ध आतंकवादियों को मार गिराया था और पुलिस का दावा था कि वे सभी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के सदस्य थे।