संयुक्त राष्ट्र: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए अपने भाषण में एकबार फिर कश्मीर का राग अलापा है और युद्ध की की बात कही है। उन्होंने अपने भाषण में अफगानिस्तान में तालिबान की जमकर वकालत की। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी अभियान में पाकिस्तान की भूमिका का भी जिक्र किया और कहा कि इतना कुछ करने बाद भी इस मामले में दोहरा रवैया अपनाया गया और पाकिस्तान को अकेला छोड़ दिया गया। इमरान खान का रिकॉर्डेड भाषण प्रसारित किया गया।
कश्मीर पर जबरन कब्जा
इमरान खान ने अपने भाषण में कहा कि इमरान खान ने कहा कि अमेरिका में 9/11 हमलों के बाद दुनियाभर के दक्षिण पंथियों ने मुसलमानों पर हमले शुरू कर दिए। भारत में आरएसएस और मुस्लिमों को निशाना बना रहे हैं। मुस्लिमों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। कश्मीर में धारा 370 हटाकर भारत ने जबरन कब्जा कर लिया है। इमरान खान ने कहा कि वहां मीडिया और इंटरनेट पर पाबंदी है। डेमोग्राफिक स्ट्रक्चर को बदला जा रहा ये दुर्भाग्य है कि दुनिया सिलेक्टिव रिएक्शन देती है। यह दोहरे मापदंड हैं।
सैन्य ताकत बढ़ा रहा है भारत
इमरान ने कि पाकिस्तान भारत के साथ अमन चाहता है। अब गेंद भारत के पाले में है। उन्होंने कहा कि भारत को कश्मीर में उठाए गए कदमों को वापस लेना होगा। इमरान ने कहा कि कश्मीर में बर्बरता बंद करनी होगी और डेमोग्राफिक चेंज बंद करना होगा। इमरान खान भारत पर सैन्य ताकत बढ़ाने का आरोप लगाया और कहा कि इससे क्षेत्र का सैन्य संतुलन बिगड़ रहा है और युद्ध के हालात पैदा हो सकते हैं। भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के पास न्यूक्लियर हथियार हैं। इमरान खान ने एक बार फिर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी सरकार को 'फासीवादी' करार दिया।
तालिबान के शासन को मंजूर करे दुनिया
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान में तालिबान शासन की जमकर वकालत की। उन्होंने कहा कि हमें अफगानिस्तान की मौजूदा सरकार को मजबूत करना चाहिए। तालिबान ने वादा किया है कि वो मानवाधिकारों का सम्मान करेंगे। उनके पास समावेशी सरकार होगी और वे जमीन का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होने देंगे। अगर पूरा विश्व समुदाय उन्हें प्रोत्साहित करता है तो यह एक तरह से पूरी दुनिया की जीत होगी।
आतंक के खिलाफ जंग में नुकसान
इमरान खान ने कहा कि अफगानिस्तान के हालात के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी कीमत पाकिस्तान ने चुकाई है। 80 हजार लोग मारे गए, 120 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। पाकिस्तान ने अमेरिका के लिए जंग लड़ी। हमसे कहा जाता है कि आप तालिबान की मदद करते हैं। आज भी 30 लाख पश्तून पाकिस्तान में रहते हैं। उनकी तालिबान से सहानूभूति है। अमेरिका ने पाकिस्तान में 480 ड्रोन हमले किए। इससे बहुत नुकसान हुआ। जो लोग मारे गए वो अमेरिका के बजाए पाकिस्तान से बदला लेते हैं। हमें अपनी राजधानी को किले में बदलना पड़ा।