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पाकिस्तान: हिंदू छात्रा की मौत के मामले में लैब नहीं भेजे गए थे जरूरी सबूत, जांच हुई प्रभावित

पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना में अपने हॉस्टल के कमरे में संदिग्ध हालात में मृत पाई गई मेडिकल छात्रा के मामले में पुलिस की लापरवाही का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 25, 2019 6:39 IST
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पाकिस्तान: हिंदू छात्रा की मौत के मामले में लैब नहीं भेजे गए थे जरूरी सबूत, जांच हुई प्रभावित | Representational Image

लरकाना: पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना में अपने हॉस्टल के कमरे में संदिग्ध हालात में मृत पाई गई मेडिकल छात्रा के मामले में पुलिस की लापरवाही का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। यह सामने आया है कि डीएनए जांच के लिए बेहद जरूरी चीजें फॉरेंसिक लैब भेजी ही नहीं गईं। पाकिस्तानी मीडिया ने यह सनसनीखेज खुलासा करते हुए पुलिस को कठघरे मे खड़ा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आसिफा बीबी डेंटल कॉलेज लरकाना की छात्रा के गले से बंधे दुपट्टे की डीएनए रिपोर्ट लरकाना पुलिस को मिल गई है। 

रिपोर्ट लाहौर स्थित फॉरेंसिक लैब के महानिदेशक द्वारा जारी की गई है। पुलिस ने इसे न्यायिक जांच अधिकारी को सौंप दिया है। मीडिया रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि फॉरेंसिक विशेषज्ञों को दुपट्टे से त्वचा के टुकड़े या खून के धब्बे नहीं मिले जिस वजह से इनका डीएनए हासिल नहीं किया जा सका। कपड़े पर मौजूद त्वचा के टुकड़ों से 72 घंटे के अंदर डीएनए हासिल किया जा सकता है, अगर इससे देर हो तो फिर डीएनए मिलना असंभव हो जाता है। हिंदू छात्रा की मौत के वक्त उसके गले में बंधे दुपट्टे को मौत के एक हफ्ते के बाद भेजा गया जिस वजह से डीएनए नहीं लिया जा सका।

मीडिया रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि नेशनल डेटाबेस ऐंड रजिस्ट्रेशन अथारिटी (नादरा) ने इस मामले में भेजे गए उंगलियों के निशान को वापस लरकाना पुलिस को यह कहते हुए भेज दिया है कि उसके डेटाबेस में मौजूद निशानों से इन उंगलियों के निशान का मिलान नहीं हो सका है और अब इनकी आगे जांच के लिए जरूरत नहीं है। नादरा ने लरकाना पुलिस को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसके (पुलिस) द्वारा भेजे गए उंगलियों के निशानों की गुणवत्ता बेहद खराब थी। पुलिस ने मौत के एक महीने बाद उंगलियों के इन निशानों को भेजा था। 

इस बारे में मीडिया के सवालों के जवाब में लरकाना के एसएसपी मसूद बंगश ने कहा कि पुलिस को घटना की जानकारी 3 घंटे बाद मिली थी। पुलिस जब तक हॉस्टल पहुंची, तब तक कई लोग 'क्राइम सीन' (नम्रता के कमरे में) जा चुके थे। उसकी सहपाठियों ने खुद बताया कि उन्होंने परेशानी के आलम में छात्रा के गले से दुपट्टा निकाल दिया था और उसके शरीर को ठीक से लिटाया था। इसी वजह से पुलिस तत्काल कोई फिंगरप्रिंट जांच के लिए नहीं भेज सकी। अदालत के आदेश के बाद जो सबूत के हिसाब से जरूरी उंगलियों के निशान लगे थे, उन्हें जांच के लिए भेजा था।

आपको बता दें कि हिंदू छात्रा की मौत 16 सितंबर को उसके हॉस्टल के कमरे में हुई थी। पुलिस व विश्वविद्यालय प्रशासन ने शुरू में इसे खुदकुशी का मामला बताया लेकिन छात्रा के घरवालों ने हत्या का आरोप लगाया था। इसके बाद मामले की न्यायिक जांच हो रही है। (IANS)

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