इस्लामाबाद। विश्व बैंक से लेकर चीन, साउदी अरब, यूएई जैसे देशों के कर्ज में डूबा पाकिस्तान अब अपनी एतिहासिक इमारतों को ही गिरवी रखने की तैयारी कर रहा है। अपने दैनिक खर्चों को कर्ज लेकर पूरा कर रही पाकिस्तान सरकार ने अब इस्लामाबाद के F-9 सेक्टर में मौजूद सबसे बड़ा पार्क गिरवी रखने की तैयारी शुरू कर दी है। पाकिस्तान की सरकार इस पार्क को गिरवी रख कर 500 अरब रुपये का कर्ज जुटाएगी। बता दें कि यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले, पिछली कई सरकारों के कार्यकाल के दौरान कई संस्थानों, इमारतों और सड़कों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बांडों के माध्यम से ऋण प्राप्त करने के लिए गिरवी रखा गया है।
गौरतलब है कि इस पार्क का नाम पाकिस्तान के राष्ट्रपिता मुहम्मद अली जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना के नाम पर रखा गया है। F-9 पार्क (फातिमा जिन्ना पार्क) 759 एकड़ भूमि पर फैला एक सार्वजनिक मनोरंजन पार्क है। यह पार्क पाकिस्तान के सबसे बड़े हरे भरे क्षेत्रों में से एक है।
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प्रधानमंत्री इमरान खान लेंगे 500 अरब का कर्ज
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय मुद्दों के कारण सरकार ने बांड जारी करने के माध्यम से रु। 500 बिलियन का ऋण प्राप्त करने के लिए संघीय राजधानी के एफ -9 पार्क को गिरवी रखने का फैसला किया है। प्रस्ताव को मंगलवार को होने वाली संघीय कैबिनेट की बैठक के एजेंडे में शामिल किया गया है। बैठक वीडियो लिंक सम्मेलन प्रणाली के माध्यम से आयोजित की जाएगी जिसे प्रधानमंत्री आवास और कैबिनेट प्रभाग के एक समिति कक्ष में व्यवस्थित किया गया है। राजधानी विकास प्राधिकरण ने इस संबंध में पहले ही अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी कर दिया है।
इस साल पाकिस्तान ने लिया 5.7 अरब डॉलर का कर्ज
गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पाकिस्तान अब तक 5.7 अरब डॉलर (4,16,01,73,50,000 रुपये) की नई उधारी ले चुका है। इससे पहले पाकिस्तान ने अपनी अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए फिर से 1.2 बिलियन डॉलर (87,56,58,00,000 रुपये) का नया कर्ज लिया है।
दोस्त वापस मांग रहे हैं कर्ज
पाकिस्तान की साख इस कदर गिर चुकी है कि उसके पुराने दोस्तों ने भी अब कर्ज के लिए तकादा शुरू कर दिया है। पाकिस्तान का सबसे बड़ा 'दाता' सऊदी अरब और यूएई अपने कई बिलियन डॉलर के कर्ज को वापस मांग रहे हैं। पाकिस्तान में हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि सरकारी कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए भी इमरान खान सरकार को जोड़ तोड़ करना पड़ रहा है।