इस्लामाबाद। पैसे-पैसे के मोहताज हो चुका पाकिस्तान एक बार फिर से अमेरिका की शरण में जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से शांतिपूर्ण तरीके से वापसी के बदले में एक बार फिर से पाकिस्तान अपने खिलाफ बढ़ रही सख्ती को कम करने के लिए अमेरिका के पैरों मे गिर सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस महीने न्यूयॉर्क मे संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए दौरे के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कर सकते हैं।
पाकिस्तान के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही है और फाइनेशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)की तरफ से सख्ती बढ़ती है तो पाकिस्तान की राह और भी कठिन हो जाएगी। FATF ने कालेधन पर रोक लगाने और आतंकवाद पर लगाम लगाने में असफल होने को लेकर पिछले साल ग्रे लिस्ट में डाल दिया है। अब पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में शामिल होने का डर सता रहा है और अगर ऐसा हुआ तो उसके लिए मुश्किलें और भी बढ़ जाएंगी। FATF ने पाकिस्तान को इस साल अक्तूबर तक का समय दिया है, अगर अक्तूबर तक पाकिस्तान मानकों पर खरा नहीं उतरता है तो उसका ब्लैक लिस्ट में शामिल होना पक्का हो सकता है।
पाकिस्तान इस समय नकदी के सबसे बड़े संकट से गुजर रहा है, उसके पास खर्च चलाने के लिए ज्यादा पैसे नहीं बचे हैं, पाकिस्तान की सरकार वहां की जनता पर पहले ही टैक्स का भारी बोझ डाल चुकी है और अब उसके सामने दूसरे देशों या संगठनों से कर्ज उठाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है, लेकिन IMF जैसे संगठन भी पाकिस्तान को तभी कर्ज देंगे जब वह FATF से ब्लैक लिस्ट नहीं होगा। ऐसे में ब्लैक लिस्टिंग से बचने के लिए पाकिस्तान एक बार फिर से अमेरिका के सामने गिड़गिड़ा सकता है।
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की शांतिपूर्ण वापसी के लिए अमेरिका और तालिबान के बीच में बातचीत की रणनीति जरूरत तैयार की थी लेकिन अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना पर हुए हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने तालिबान से बात करने को लेकर मना कर दिया था। लेकिन इसके बावजूद भी पाकिस्तान को उम्मीद है कि वह अमेरिका और तालिबान को बातचीत के लिए राजी कर सकता है। पाकिस्तानी अखबार के मुताबिक अपनी न्यूयॉर्क यात्रा के दौरान इमरान खान अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें फिर से तालिबान के साथ बातचीत के लिए राजी करने की कोशिश कर सकते हैं।