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Pakistan: सिंध की मस्जिदों में सामूहिक तरावीह नमाज पर रोक

शाह ने गुरुवार देर रात संदेश में आम लोगों से कहा कि उनके लिए यह 'बेहद मुश्किल फैसला' रहा। उन्होंने डाक्टरों के साथ-साथ राष्ट्रपति आरिफ अल्वी से सलाह लेने के बाद यह फैसला किया है। 

Written by: IANS
Published on: April 24, 2020 19:40 IST
Pakistan- India TV Hindi
Image Source : AP Representational Image

कराची. पाकिस्तान में रमजान के महीने में कुछ शर्तो के साथ सामूहिक नमाज की इजाजत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। देश के चिकित्सकों द्वारा इस फैसले की तीखी आलोचना के बाद सिंध प्रांत की सरकार ने रमजान में रात के समय पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज तरावीह को सामूहिक रूप से अदा करने पर रोक लगा दी है। प्रांत में जुमे की सामूहिक नमाज पर भी रोक पूर्व की तरह लागू रहेगी।

सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह ने एक वीडियो मैसेज में इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि अभी जो व्यवस्था जुमे की नमाज के लिए है, वही तरावीह के लिए रहेगी। इसका अर्थ यह हुआ कि अधिकतम पांच लोग (मस्जिद के इमाम व अधिकतम चार अन्य प्रबंधक) ही मस्जिद में तरावीह पढ़ सकेंगे। उन्होंने लोगों से कहा कि कोरोना की भयावह महामारी को ध्यान में रखते हुए अन्य नमाजें और तरावीह की नमाज घरों में ही पढ़ें।

गौरतलब है कि इमरान सरकार और उलेमा में हुए समझौते में तय हुआ है कि बीस शर्तो को पूरा करने के बाद मस्जिदों में सामूहिक नमाज की इजाजत होगी। चिकित्सा जगत व अन्य कई लोगों का कहना है कि लाखों मस्जिदों में शर्तो का पालन कितना होगा, यह सभी जानते हैं। ऐसे में लोगों की भीड़ बड़ा संकट लेकर आएगी।

शाह ने गुरुवार देर रात संदेश में आम लोगों से कहा कि उनके लिए यह 'बेहद मुश्किल फैसला' रहा। उन्होंने डाक्टरों के साथ-साथ राष्ट्रपति आरिफ अल्वी से सलाह लेने के बाद यह फैसला किया है। उन्होंने कहा कि देश के नामी डॉक्टरों ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा है कि देश कोरोना से लड़ाई में बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है। ऐसे में लॉकडाउन में छूट देना, सामाजिक दूरी को नहीं बना कर रखने के गंभीर नतीजे होंगे। डॉक्टरों ने सामूहिक नमाज के फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया और कहा कि भारी भीड़ जुटने का जो नतीजा होगा, उसे वे संभाल नहीं सकेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉक्टरों की इन बातों के बाद उन्होंने राष्ट्रपति अल्वी से बात की। राष्ट्रपति ने कहा कि संघीय सरकार और उलेमा का फैसला कोई ऐसा नहीं है जिस पर सोचा न जा सके। स्थानीय जरूरतों के हिसाब से इसमें बदलाव हो सकता है। इसके बाद उन्होंने यह फैसला किया। शाह ने उलेमा से अपील की कि वे स्थिति को समझते हुए सरकार के फैसले का समर्थन करें।

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