इस्लामाबाद। अफगानिस्तान में पाकिस्तान की एयरलाइंस ने लूट मचा रखी थी और जब तालिबान ने इस पर सख्ती की जो पाकिस्तान की एयरलाइंस को मजबूर होकर सेवा की बंद करनी पड़ी। अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी में सहयोग करने वाले देश पाकिस्तान ने ही तालिबान की वापसी का सबसे ज्यादा जश्न मनाया है लेकिन अब तालिबान के पाकिस्तानी एयरलाइंस को धमकाने के बाद से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हवाई सेवा प्रभावित हो गई है।
पाकिस्तान के मीडिया ने खबर दी है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन (PIA) ने काबुल आने-जाने वाली उड़ानों पर रोक लगा दी है और इसके पीछे की वजह उड़ान सेवाओं में तालिबान ने जरूरत से ज्यादा किराया वसूलना बताया है। कहा जा रहा है तालिबान की नाराजगी पीआईए के बढ़े हुए किराए से है जो 15 अगस्त से पहले तक सिर्फ 200 से 300 डॉलर था और अब 2500 डॉलर तक पहुंच चुका है।
पाकिस्तान एयरलाइन ने यह कदम इसलिए उठाया है कि तालिबान ने उसे टिकटों के दाम कम करने के लिए कहा था। मौजूदा समय में पाकिस्तान एयरलाइन एक मात्र अंतरराष्ट्रीय विमान कंपनी है जो अफगानिस्तान को उड़ान सेवाएं मुहैया करा रही है, इसका फायदा उठाते हुए पाकिस्तान की एयरलाइन कंपनी यात्रियों से मनमाने किराए वसूल रही थी जिसको लेकर तालिबान ने उसे चेतावनी दी थी। गौरतलब है कि, अफगानिस्तान में तालिबान के आते ही पाकिस्तान ने अपने हवाई किराए में आश्चर्यजनक इजाफा किया है। साथ ही अफगानिस्तान नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (एसीएए) ने भी हवाई किराए को कम करने की अपील की थी।
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने पहले ही पाकिस्तान एयरलाइन और अफगानिस्तान की काम एयरलाइन को हवाई टिकटों का किराया कम करने के लिए कहा था क्योंकि किराए आम अफगानियों की पहुंच से ज्यादा थे। मिली जानकारी के अनुसार पाकिस्तान एयरलाइन पहले के मुकाबले 20 गुना ज्यादा किराया वसूल रही थी। पहले काबुल से पाकिस्तान की राजधानी को 120-150 अमेरिकी डॉलर किराया लिया जाता था लेकिन अब पाकिस्तान की एयरलाइन ने प्रति यात्री 2500 डॉलर किराया वसूलना शुरू कर दिया था, जिसको लेकर तालिबान ने पाकिस्तान की एयरलाइन को चेतावनी दी थी।
बता दें कि, अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के सामने इस वक्त देश में कई चुनौतियां हैं जिसमें अर्थव्यवस्था एक बड़ा पहलू है। देश की अर्थव्यवस्था रुक गई है और बैंकिंग सिस्टम बदहाली से जूझ रहा है। कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में अफगानिस्तान में बिजली संकट पैदा हो सकता है। अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर बिजली की सप्लाई बाहरी देशों जैसे उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान से होती है। तालिबान के कब्जे के बाद देश में बड़े स्तर पर व्यवसाय और धंधे बंद हो चुके हैं।