इस्लामाबाद. पाकिस्तान की इमरान सरकार चरमपंथियों के आगे कितना मजबूर है ये पूरी दुनिया जानती है। कभी आतंकियों के खिलाफ एक्शन का वादा कर पाकिस्तान की सत्ता में काबिज हुए इमरान खान अब उनकी हार बात मानने को मजबूर नजर आते हैं। अब पाकिस्तान सरकार ने पिछले 14 वर्षों में सुरक्षा बलों और आम नागरिकों पर कई हमलों के जिम्मेदार एक प्रमुख आतंकवादी संगठन 'तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान' के साथ एक महीने के संघर्ष विराम की घोषणा की है।
इमरान सरकार के प्रवक्ता फवाद चौधरी ने ट्विटर पर जानकारी दी कि अफगानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार ने प्रधानमंत्री इमरान खान और ‘तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान’ या टीटीपी के बीच संघर्ष विराम को कायम करने में मदद की। एक बयान में, टीटीपी के प्रवक्ता मोहम्मद खुरासानी ने पुष्टि की कि नौ नवंबर से शुरू होने वाला संघर्ष विराम नौ दिसंबर तक रहेगा, जिसके दौरान दोनों पक्ष बातचीत जारी रखने के लिए एक समिति बनाएंगे। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष संघर्ष विराम का पालन करेंगे। सरकार और टीटीपी के बीच पिछले महीने शुरू हुई शांति वार्ता के बीच यह समझौता हुआ। चौधरी ने कहा कि अगर वार्ता आगे बढ़ती रही तो संघर्ष विराम को बढ़ाया जा सकता है।
आपको बता दें कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की सबसे ज्यादा पैठ पाकिस्तान-अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में हैं। यहां बहुत सारी ऐसी जगहें हैं, जहां पाकिस्तानी आर्मी भी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आगे बहुत बेबस नजर आती है। TTP अपने उद्देश्य के तहत पाकिस्तानी सुरक्षाबलों और सरकार को उखाड़ फेकना चाहता है। हालांकि इनके खिलाफ पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन भी चलाया था, जिसमें कुछ सफलता भी मिली लेकिन बड़ी संख्या में पाकिस्तान के सुरक्षा बल भी मारे गए। सीमावर्ती इलाका होने की वजह से पाकिस्तान भी इनके आगे बेहद कमजोर नजर आता है।
यूं तो TLP पाकिस्तान में बहुत सारे हमलों को अंजाम दे चुका है, जिनमें हजारों लोगों की मौत हुई है। पेशावर के आर्मी स्कूल पर हुए हमले (जिसमें 132 बच्चों समेत 141 लोग मारे गए) और कराची एयरपोर्ट अटैक को प्रमुख माना जाता है। टीटीपी को पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है। यह कथित तौर पर अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवादी हमलों की साजिश रचने के लिए करता है। पाकिस्तान सरकार अब अफगानिस्तान के तालिबान के प्रभाव का इस्तेमाल टीटीपी के साथ शांति समझौता करने और हिंसा को रोकने की कोशिश करने के लिए कर रही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले महीने एक साक्षात्कार में खुलासा किया था कि उनकी सरकार, अफगानिस्तान में तालिबान की मदद से ‘‘सुलह’’ के लिए टीटीपी के साथ बातचीत कर रही है। इस बात को लेकर कई नेताओं और आतंकवाद का शिकार बने कई लोगों ने उनकी काफी आलोचना की थी। गृह मंत्री शेख रशीद ने सरकार के इस कदम का बचाव करते हुए कहा था कि वार्ता ‘‘अच्छे तालिबान’’ के लिए है।