इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाने वाले जज मुश्किलों में घिर सकते हैं। संविधान का उल्लंघन कर आपातकाल लगाने के मामले में स्पेशल कोर्ट की बेंच के चीफ जस्टिस वकार अहमद सेठ ने मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाई थी। पाकिस्तान की सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई का फैसला किया है और देश के महान्यायवादी ने कहा है कि जज का मानसिक संतुलन बिगड़ा हुआ है। आपको बता दें कि विस्तृत फैसले में जज ने बेहद ही अजीब बात कही है।
दरअसल, मुशर्रफ मामले में विस्तृत फैसला जारी होने पर गुरुवार को खुलासा हुआ कि पीठ ने अधिकारियों से कहा है कि 'भगोड़े को लाकर कानून के अनुसार दंडित करें। इसमें यह भी कहा गया है कि अगर इससे पहले मुशर्रफ की मौत हो जाए तो उनके शव को घसीटकर इस्लामाबाद चौक पर लाएं और तीन दिन तक उसे वहां टांगे रखें। 3 जजों की पीठ में 2 जज मौत की सजा के पक्ष में रहे और एक इसके खिलाफ रहे। फैसले की इस भाषा के बाद पीठ के चीफ जस्टिस के खिलाफ विरोध में आवाजें उठी हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार ने जस्टिस सेठ के खिलाफ सुप्रीम जूडिशल कौंसिल में रेफरेंस दायर करने का फैसला लिया है। प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में मीडिया रणनीति समिति की बैठक हुई जिसमें विशेष अदालत के जज व पेशावर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस वकार अहमद सेठ के खिलाफ सुप्रीम जूडिशल कौंसिल में रेफरेंस दायर करने का फैसला लिया गया। सूत्रों ने बताया कानूनी टीम ने सरकार को बताया कि ‘यह फैसला गैरकानूनी, शरीयत के भी खिलाफ और मानवता के खिलाफ है। लाश को चौराहे पर लटकाने जैसी बात कानून की सीमा का उल्लंघन है।’
इमरान ने कहा कि यह विस्तृत फैसला देश में अराजकता पैदा करने की कोशिश है। सरकार मुल्क में अराजकता और संस्थाओं के बीच टकराव किसी भी सूरत में पैदा नहीं होने देगी। इस बीच, पाकिस्तान के महान्यायवादी अनवर मंसूर खान ने कहा कि यह फैसला देने वाले जजों के खिलाफ सरकार कार्रवाई करेगी, 'ऐसा व्यक्ति जिसका मानसिक संतुलन सही नहीं है, वह जज रहने के काबिल नहीं है।'