इस्लामाबाद. कट्टरपंथी मौलवियों के दबाव के चलते पाकिस्तान सरकार ने शनिवार को रमजान के दौरान मस्जिदों में जमात के साथ नमाज अदा करने की सशर्त अनुमति दे दी। सरकार के इस कदम से दुनियाभर में 154,000 से अधिक लोगों की जान ले चुके कोरोना वायरस के प्रसार की रोकथाम के अभियान को तगड़ा झटका लग सकता है।
राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने सभी प्रांतों के प्रतिनिधियों और धार्मिक नेताओं के साथ बैठक के बाद यह घोषणा की। अल्वी ने कहा कि एक 20 सूत्रीय योजना पर सहमति बनी है। उन्होंने कहा, ''यह एक महत्वपूर्ण समझौता है और सभी धार्मिक नेताओं की आम सहमति के बाद इस नतीजे पर पहुंचा गया है।'' मौलवी मस्जिदों में नमाज के दौरान सामाजिक दूरी बरकरार रखने के सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करने पर सहमत हुए हैं।
समझौते के मुताबिक, 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों, नाबालिगों और फ्लू से पीडि़त लोगों को मस्जिद में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। तरावीह (खास नमाज) मस्जिदों के अलावा सड़क, फुटपाथ या अन्य किसी स्थान पर अदा नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा, मस्जिदों में रोजाना दरी हटाकर फर्श को संक्रमण मुक्त किया जाएगा।
साथ ही नमाज पढ़ने आने वाले लोगों को एक-दूसरे से छह फीट की दूरी बरकरार रखनी होगी और मास्क पहनना अनिवार्य होगा। अल्वी ने कहा कि अगर सरकार को कभी भी लगता है कि दिशानिर्देशों की अवहेलना हो रही है अथवा बीमारी फैल रही है तो मस्जिदों को खोलने के फैसले पर दोबारा विचार किया जा सकता है।