इस्लामाबाद: पाकिस्तान के शीर्ष असैन्य और सैन्य नेताओं ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और गिलगित - बाल्टिस्तान को अधिक प्रशासनिक और आर्थिक अधिकार देने का फैसला किया है। इसी क्षेत्र से 50 अरब अमेरिकी डॉलर का विवादित पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) गुजर रहा है। सरकारी बयान में बताया गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की कल हुई बैठक में योजना आयोग के उपाध्यक्ष सरताज अज़ीज़ और कश्मीर तथा गिलगित बाल्टिस्तान मंत्रालय ने समिति को पीओके और गिलगित बाल्टिस्तान सुधार प्रस्ताव के बारे में जानकारी दी। एनएससी देश का शीर्ष असैन्य और सैन्य निकाय है। बयान के मुताबिक , बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी ने की और इन प्रस्तावों की समीक्षा की। इसके बाद विस्तृत विमर्श किया गया और पीओके सरकार तथा गिलिगित बाल्टिस्तान सरकार को " अधिक प्रशासनिक अधिकार और वित्तीय शक्तियां प्रदान " करने पर सहमति बनी। (चीन की सैन्य चुनौतियों से निपटने के लिए सुरक्षा उपाय बेहतर करेगा ताइवान )
प्रशासनिक और आर्थिक सुधारों का वितरण अब तक साझा नहीं किया गया है। बहरहाल , पीओके और गिलगित बाल्टिस्तान की परिषदों को एक सलाहकार निकाय के तौर पर बनाए रखने पर भी सहमति बनी। इसके अलावा गिलगित बाल्टिस्तान को पांच साल की कर छूट दी गई है ताकि क्षेत्र के विकास के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन जुटाया जा सके और इसे पाकिस्तान के अन्य क्षेत्रों के समान लाया जा सके।
पाकिस्तान गिलगित बाल्टिस्तान को पृथक भौगोलिक इलाके के तौर पर मानता है। बलूचिस्तान , खैबर पख्तूनख्वा , पंजाब और सिंध पाकिस्तान के चार प्रांत हैं। भारत ने गिलगित बाल्टिस्तान क्षेत्र को पाकिस्तान का पांचवा प्रांत घोषित करने की किसी भी संभावित कोशिश को ‘ पूरी तरह अस्वीकार्य ’ करार दिया गया है। इसकी सीमा पाकिस्तान के कब्जे वाले विवादित कश्मीर से लगती है। भारत ने सीपीईसी का भी विरोध किया है जो गिलगित बाल्टिस्तान क्षेत्र से गुजरता है।