इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे को आज चुनौती दी कि अमेरिका ने उसे गत 15 वर्षों में 33 अरब डालर से अधिक की सहायता दी। पाकिस्तान ने कहा कि किसी आडिट कंपनी से सत्यापन कराने से अमेरिकी राष्ट्रपति गलत साबित होंगे।विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक ट्वीट में कहा कि ट्रंप 33 अरब डालर की सहायता का सत्यापन कराने के लिए ‘‘हमारे खर्च’’ पर एक अमेरिकी आडिट कंपनी की सेवा ले सकते हैं जिससे ‘‘विश्व को पता चले कि कौन झूठ बोल रहा है और कौन धोखा दे रहा है।’’
आसिफ ने ट्वीट किया ‘‘राष्ट्रपति ट्रंप ने गत 15 वर्षों में पाकिस्तान को 33 अरब डालर देने का उल्लेख किया, वह इस आंकड़े का सत्यापन कराने के लिए हमारे खर्च पर एक अमेरिकी आडिट कंपनी की सेवा ले सकते हैं जिससे की विश्व को पता चल सके कि कौन झूठ बोल रहा है और धोखा दे रहा है....।’’ पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने गत सप्ताह एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि पाकिस्तान को अमेरिका से जो सहायता मिली वह इस्लामाबाद की ओर से गठबंधन को अलकायदा के खिलाफ उसकी लड़ाई में दिये गए ‘‘समर्थन की प्रतिपूर्ति’’ थी। उन्होंने कहा था, ‘‘यदि हमने अमेरिका और अफगानिस्तान को समर्थन नहीं दिया होता तो वे अलकायदा को कभी भी हरा नहीं पाते।’’
आसिफ का ट्वीट ऐसे समय आया है जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की एक बैठक की अध्यक्षता की। बैठक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तान पर यह आरोप लगाने के बाद बुलाई गई थी कि अमेरिका द्वारा उसे गत 15 वर्षों में 33 अरब डालर की सहायता दी गई जबकि इसके बदले उसने अमेरिका को ‘झूठ और धोखे’ के सिवा कुछ भी नहीं दिया है। ट्रंप ने साथ ही यह भी कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवादियों को ‘‘सुरक्षित पनाहगाह’’ मुहैया करायी।
डान न्यूज ने बताया कि अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत को एनएससी की बैठक में बुलाया गया जिसमें ट्रंप के ताजा हमले पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया पर चर्चा की गई । इसके साथ ही इस बैठक में देश की समग्र विदेश नीति की समीक्षा भी की गई। बैठक शुरू होने से कुछ ही समय पहले सेना ने ट्रंप के आरोपों पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया को लेकर सुझाव को जनरल मुख्यालय में आयोजित कोर कमांडरों के सम्मेलन में अंतिम रूप दिया था। राष्ट्रीय सुरक्षा पर संसदीय समिति की एक बैठक भी पांच जनवरी को आहूत की गई है जिसमें अमेरिका के आरोपों पर चर्चा होगी।