इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में हिंसात्मक घटनाएं बढ़ने के बीच अफगानिस्तानी शरणार्थियों को अस्थायी राहत देते हुए उनकी स्वदेश वापसी की समयसीमा दो महीने बढ़ा दी है। करीब 30 लाख अफगानिस्तानी दशकों से पाकिस्तान में रह रहे हैं। इनमें से करीब आधे लोगों का पंजीकरण नहीं हुआ है और वे अवैध रूप से देश में रह रहे हैं। संघीय कैबिनेट ने उनकी स्वदेश वापसी की समयसीमा बढ़ाने का निर्णय कल लिया। बयान में कहा गया है, ‘‘कैबिनेट ने अफगानिस्तानी शरणार्थियों के लिए ‘प्रूफ ऑफ रजिस्ट्रेशन’ (पीओआर) कार्डों को 60 दिनों का विस्तार देने को अनुमति दी है।’’ (अमेरिकी सांसदों ने कहा, ट्रंप का संबोधन उनके शासन के अनुरूप नहीं रहा )
कई अफगानिस्तानी शरणार्थियों की कानूनी शरणार्थी दर्जे की वैधता 31 जनवरी को समाप्त हो गई थी, जिसके कारण इन शरणार्थियों के भविष्य पर शंका के बादल छा गए थे। पाकिस्तान ने पहले भी कम से कम छह बार शरणार्थियों के पीओआर की वैधता बढ़ाई है। समयसीमा में 60 दिनों का विस्तार ऐसे समय में दिया गया है जब अफगानिस्तान के गृह मंत्री वाइस अहमद बरमाक और राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय प्रमुख मोहम्मद मासूम स्तानेकजई ने द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा के लिए पाकिस्तान की यात्रा की।
अफगानिस्तान में हालिया सप्ताह में सुरक्षा हालात बदतर हो गए हैं। राजधानी काबुल में रविवार को हुए आत्मघाती हमले में कम से कम 103 लोगों की मौत हो गई थी। इसके एक ही दिन बाद एक सैन्य अकादमी पर बंदूकधारियों के हमले में कम से कम 11 जवानों की मौत हो गई थी। अफगानिस्तान और अमेरिका अफगान तालिबान एवं हक्कानी नेटवर्क के आतंकवादियों को पनाहगाह मुहैया कराने के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदारी ठहराते हैं। पाकिस्तान इन आरोपों को खारिज करता रहा है और उसका आरोप है कि अफगानिस्तानी बल पाकिस्तानी तालिबान के तत्वों को पनाहगाह मुहैया कराते हैं।