नई दिल्ली: कहते हैं कि नकल करने के लिए भी अकल चाहिए लेकिन पाकिस्तानी हुक्मरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नकल करने में इतने अंधे हो जाते हैं कि पूरा का पूरा आइडिया ही कॉपी कर लेते हैं। अगर ऐसा न होता तो पाकिस्तान के वजीरेआजम इमरान खान की अपने ही मुल्क में इस कदर छीछालेदर न होती। मोदी सरकार की तरह ही इमरान खान ने अब पाकिस्तानियों की मक्का की मुफ्त यात्रा पर ब्रेक लगा दिया है। यानी पाकिस्तानियों के लिए हज सब्सिडी खत्म कर दी गई है।
पाकिस्तानियों को अब हज करने के लिए 63 फीसदी ज्यादा रकम चुकानी होगी। इमरान हुकूमत ने 2019 के लिए नई हज पॉलिसी का ऐलान किया है जिसके मुताबिक अब हज के लिए हर पाकिस्तानी को 4,56,426 रुपए (कुर्बानी समेत) चुकाने होंगे। इससे पहले हज के लिए 2,80,000 रुपए अदा करने पड़ते थे। यानी अब हर पाकिस्तानी को हज के लिए 1,76,426 रुपए ज्यादा देने होंगे।
मोदी सरकार के नक्शे कदम पर चलने की होड़ में इमरान खान ने ये फैसला तो कर लिया लेकिन यही फरमान अब पाकिस्तानी हुक्मरान के गले की फांस बन गया है। पाकिस्तान की आवाम को ये फैसला नागवार गुजर रहा है और हुकूमत के इस फैसले के खिलाफ आक्रोश लाहौर और कराची की सड़कों से लेकर इस्लामाबाद में पाकिस्तान की संसद तक दिख रहा है।
पीएम मोदी की तरह जब इमरान खान ने पाकिस्तान की गंदगी साफ करने के लिए झाड़ू उठाई तो तारीफ मिली, जब भैंसों और खटारा कारों की नीलामी की तो आवाम को लगा कि चलो कुछ तो मिला। पाकिस्तान कंगाल हुआ, बर्बाद हुआ लेकिन आवाम मुगालते में रही कि उनका वजीरे आजम नया पाकिस्तान बना रहा है लेकिन इस्लामी मुल्क के कप्तान ने हज पर लगाम लगाई गई तो इमरान पर भयंकर बाउंसर बरसने लगे।
पाकिस्तान से इस साल करीब पौने दो लाख लोग हज यात्रा पर जाएंगे। इसमें सऊदी अरब सरकार की ओर से मंजूर 5,000 का अतिरिक्त कोटा भी शामिल है। 20 फरवरी को रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख है लेकिन इससे पहले इमरान की हुकूमत के नए फरमान ने पाकिस्तानियों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। दुनिया जानती है कि इमरान खान भले ही पाकिस्तान के वजीर आजम की गद्दी पर हों लेकिन पाकिस्तान में दहशतगर्दों और कट्टरपंथियों की हुकूमत ही चलती है। ऐसे में इस्लामी मुल्क में मुसलमानों की सबसे बड़ी मजहबी यात्रा के लिए पैसे न देना भला कैसे गवारा हो सकता है।
अवाम ऊपरवाले की दुहाई दे रही है और इमरान को लानत-मलानत भेज रही है। इमरान खान को उनके उस बयान की याद दिलाई जा रही है जब वजीरे आजम की गद्दी पर बैठते हुए उन्होंने पाकिस्तान को रियासत ए मदीना बनाने की बात कही थी। पाकिस्तान में हज सब्सिडी क्या खत्म की गई हुक्मरानों की शामत आ गई। विरोधी तो इसे ड्रोन अटैक करार दे रहे हैं। हुकूमत कंगाली और महंगाई का हवाला दे रही है। इमरान के मंत्री कह रहे हैं कि मदीना मॉडल का ये मतलब नहीं है कि हम हज मुफ्त में कराएंगे।
इमरान खान की हुकूमत का दावा है कि हज सब्सिडी खत्म कर करीब चार अरब रुपये बचेंगे। जाहिर है कंगाल और बर्बाद मुल्क के लिए ये रकम खासी बड़ी है लेकिन पाकिस्तान की आवाम ही नहीं जानकार भी इमरान के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। इमरान खान भले ही प्रधानमंत्री मोदी की नकल कर नया पाकिस्तान का ख्वाब देख रहे हों मगर इतना तय है कि मोदी जैसा साहस, मोदी जैसी दूरदर्शिता, मोदी जैसा दिमाग और मोदी जैसा मिज़ाज कहां से लाएंगे।