आज जहां चीन, जापान के अलावा भारत जैसे देश अपनी औद्योगिक ताकत के भरोसे आगे बढ़ रहे हैं। वहीं हमारा बदहाल पड़ौसी पाकिस्तान आज भी पिछली सदी के पशुपालन व्यवसाय पर ही टिका है। जी हां, पाकिस्तान के आर्थिक सर्वेक्षण ने इस बात के पुख्ता आंकड़े पेश किए हैं कि पाकिस्तान में उद्योग धंधे चौपट हो गए है वहीं कंस्ट्रक्शन उद्योग भी बदहाल है। पाकिस्तान की इमरान खान सरकार मंगलवार 11 जून को अपना पहला बजट पेश करेगी।
इससे पहले आए आर्थिक सर्वेक्षण ने पाकिस्तान की इकोनॉमी का कच्चा चिट्ठा खोल दिया है। वित्त वर्ष 2018-19 की आर्थिक समीक्षा अगले वित्त वर्ष के बजट से एक दिन पहले 11 जून को आधिकारिक तौर पर जारी होने वाली है। हालांकि अखबार डॉन ने इसकी जानकारियां रविवार को ही प्रकाशित कर दी।
पशुपालन का प्रदर्शन सबसे बेहतर
डॉन की खबर के अनुसार, पशुपालन एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा जिसका प्रदर्शन लक्ष्य से कुछ ऊपर रहा। सरकार ने इस दौरान सिर्फ पशुपालन क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया और इस क्षेत्र की वृद्धि दर 3.8 प्रतिशत की तुलना में चार प्रतिशत रही है।
ग्रोथ अनुमान से आधी
आर्थिक रूप से कंगाल हो चुके पाकिस्तान को हाल ही में आईएमएफ से तीन साल के लिए 6 बिलियन डॉलर की मदद मिली है। जो सिर्फ एक डूबते देश को तिनके का सहारा जैसा ही है। पाकिस्तान के आर्थिक हालात आपात स्थिति में आ गए हैं। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार जून में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर गिरकर 3.3 प्रतिशत पर आ जाएगी। यह 6.3 प्रतिशत के लक्ष्य की तुलना में बेहद कम है।
सिर्फ 1.4 फीसदी औद्योगिक दर
पशुपालन को छोड़ दें तो अन्य सभी क्षेत्रों का प्रदर्शन लक्ष्य से नीचे रहा है। औद्योगिक क्षेत्र उत्पादन में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर का लक्ष्य के मुकाबले वृद्धि 1.4 प्रतिशत ही रही। विनिर्माण क्षेत्र में 8.10 प्रतिशत की दर से वृद्धि के लक्ष्य की तुलना में दो प्रतिशत गिरावट दर्ज की गयी। सेवा क्षेत्र के लिये 6.5 प्रतिशत का लक्ष्य रखा गया था लेकिन इसकी वृद्धि दर 4.7 प्रतिशत रही । इसी तरह निर्माण क्षेत्र में 10 प्रतिशत के लक्ष्य की तुलना में 7.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है।