कराची: कोरोना वायरस पूरे विश्व पर कहर बनकर टूटा है और पाकिस्तान भी इससे अछूता नहीं है। इस महामारी के बीच सिंध प्रांत के सरकारी अस्पतालों में सेवारत डॉक्टरों की सैलरी से 10 पर्सेंट की कटौती की गई है, जिसे डॉक्टरों अमानवीय करार दिया है। डॉक्टरों का कहना है कि वह अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं और ऐसे में उन्हें जोखिम भत्ता या अन्य लाभ प्रदान करने के बजाय प्रांतीय स्वास्थ्य विभाग की ओर से उनका वेतन काट लिया गया है।
‘वेतन में से 10 फीसदी राशि काटी गई है’
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसी तरह की स्थिति कई निजी स्वास्थ्य अस्पतालों में भी देखने को मिल रही है, जहां प्रशासन की ओर से कोरोना वायरस प्रकोप के दौरान अपने राजस्व घाटे को संतुलित करने के लिए डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के वेतन से कुछ राशि की कटौती शुरू कर दी गई है। यंग डॉक्टर्स एसोसिएशन (YDA) सिंध के अध्यक्ष डॉक्टर उमर सुल्तान ने कहा, ‘उन्होंने मार्च 2020 के वेतन से 10 फीसदी राशि काट ली है और यह कटौती कोरोनावायरस फंड के लिए की गई है।’
‘दिन-रात काम करने को मजबूर हैं डॉक्टर’
डॉक्टर सुल्तान ने कहा कि हम महामारी के खिलाफ सबसे अग्रिम पंक्ति में काम कर रहे हैं और हमें जोखिम भत्ता का भुगतान करने के बजाय उन्होंने हमारे वेतन में ही कटौती करनी शुरू कर दी है, जो अमानवीय है। उन्होंने कहा कि एक ओर सैकड़ों डॉक्टर बिना किसी आराम और बिना किसी सुरक्षात्मक उपकरण (PPE) के वॉर्ड और आपातस्थिति में दिन और रात काम करने के लिए मजबूर हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हें अपने वेतन से भी वंचित रखा जा रहा है। डॉक्टर सुल्तान ने इस कदम को अत्यधिक निंदनीय और शर्मनाक बताया।
पाकिस्तान में बेहद खराब हैं हालात
उन्होंने आगे दावा किया कि सैकड़ों स्नातकोत्तर छात्र देश में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की रीढ़ हैं, जिनका सरकार की ओर से कोई ख्याल नहीं रखा जा रहा है। उन्होंने अस्पतालों में परिवहन व्यवस्था के लिए भी पैसे की कमी को उजागर किया। स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता बताया कि डॉक्टरों की तनख्वाह में कटौती राजस्व को पूरा करने के लिए की जा रही है। बता दें कि इससे पहले खबर आई थी कि प्रशासन कराची के एक नामी अस्पताल के डॉक्टरों के लिए भी जरूरी सुरक्षा उपकरण मुहैया नहीं करा पा रहा है, फिर भी डॉक्टर अपनी जान पर खेलते हुए मरीजों की जिंदगी बचाने में लगे हुए हैं।