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अजमेर में जियारत के लिए जायरीन को भारत ने नहीं दिया वीजा, पाकिस्तान ने कही ये बातें

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि यह दौरा धार्मिक स्थलों के दौरे पर पाकिस्तान एवं भारत के बीच 1974 में तय हुए प्रोटोकॉल के तहत होना था और यह हर साल होता है...

Reported by: Bhasha
Published on: March 19, 2018 21:04 IST
Pakistan disappointed at India for not issuing visas to pilgrims visiting Ajmer shrine | PTI Photo- India TV Hindi
Pakistan disappointed at India for not issuing visas to pilgrims visiting Ajmer shrine | PTI Photo

इस्लामाबाद: अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जियारत के लिए भारत की ओर से 500 से अधिक पाकिस्तानी जायरीन को वीजा जारी नहीं करने पर पाकिस्तान ने सोमवार को निराशा जताई। इस पर भारत ने कहा कि मौजूदा हालात के मद्देनजर और जरूरी सुरक्षा मंजूरियों के अभाव में वीजा जारी नहीं किया जा सका। विदेश कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि यह दौरा धार्मिक स्थलों के दौरे पर पाकिस्तान एवं भारत के बीच 1974 में तय हुए प्रोटोकॉल के तहत होना था और यह हर साल होता है।

बयान में कहा गया, ‘भारत के अजमेर शरीफ में हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स में हिस्सा लेने के लिए 19 से 29 मार्च 2018 तक भारत द्वारा 503 पाकिस्तानी जायरीन को वीजा जारी नहीं करने पर पाकिस्तान गहरी निराशा जताता है।’ विदेश कार्यालय ने कहा कि भारत के निर्णय के कारण पाकिस्तानी जायरीन उर्स में हिस्सा लेने से वंचित रह जाएंगे, जिसका विशेष महत्व है। नई दिल्ली में सूत्रों ने कहा कि उचित प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद ऐसी यात्राएं आयोजित की जाती हैं, उन्हें बढ़ावा दिया जाता है और वीजा मंजूर किए जाते हैं। बहरहाल, समय-समय पर उस वक्त हालात के मद्देनजर और जरूरी सुरक्षा मंजूरियों के अभाव में ऐसी यात्राएं नहीं हो सकतीं। पहले भी ऐसा हुआ है जब दोनों तरफ से ऐसी यात्राएं नहीं हो सकीं।

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि इससे पहले भारत की ओर से वीजा जारी नहीं किए जाने के कारण 1 से 8 जनवरी के दौरान दिल्ली में हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया के उर्स में 192 पाकिस्तानी जायरीन हिस्सा नहीं ले सके थे। पाकिस्तान ने कहा कि 2017 में उसकी ओर से एक विशेष ट्रेन भेजने की पेशकश के बावजूद भारत की देरी के कारण भारत के सिख तीर्थयात्री गुरू अर्जन देव की शहादत की वर्षगांठ और महाराजा रंजीत सिंह की पुण्य तिथि में हिस्सा नहीं ले सके थे। बयान में कहा गया कि फरवरी में पाकिस्तान ने कटासराज के 173 श्रद्धालुओं की यात्रा के लिए सारे इंतजाम किए थे लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जरूरी मंजूरी नहीं दिए जाने के कारण उन्हें नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग से अपनी अर्जियां वापस लेने को मजबूर होना पड़ा था।

विदेश कार्यालय ने कहा, ‘1974 के द्विपक्षीय प्रोटोकॉल और धार्मिक स्वतंत्रता के बुनियादी मानवाधिकार का उल्लंघन होने के अलावा ऐसे कदम माहौल सुधारने, लोगों से लोगों के संपर्क बढ़ाने और दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य बनाने के प्रयासों को कमजोर करते हैं।’ बयान में कहा गया कि यह ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि भारत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स के मौके पर वीजा जारी करने में नाकाम रहा जो सदियों से समुदायों को एक-दूसरे के करीब लाने के प्रतीक रहे हैं।

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