इस्लामाबाद: विवादास्पद मौलाना अब्दुल अजीज ने एक बार फिर पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबााद में स्थित लाल मस्जिद पर कब्जा कर लिया है। अजीज का कहना है कि सरकारी नियंत्रण वाली इस मस्जिद का उन्हें फिर से इमाम बनाया जाए। इस घटनाक्रम के बाद से इस्लामाबाद के मस्जिद के पास के इलाके में तनाव फैल गया है और मस्जिद के इर्द गिर्द बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात कर मौलाना को बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है। बता दें कि इससे पहले भी वह ऐसे ही पिछली 2 सरकारों की नाक में दम कर चुके हैं।
मौलाना के समर्थन में 100 से ज्यादा छात्राएं
पाकिस्तानी मीडिया में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौलाना अब्दुल अजीज के साथ उनके जामिया हफ्सा मदरसे की सौ से अधिक छात्राएं भी मस्जिद में मौजूद हैं और मौलाना का समर्थन कर रही हैं। मौलाना अजीज के इस कदम से स्थिति और नाजुक हो गई है। चरमपंथी सोच वाले मौलाना अजीज को इस मस्जिद के इमाम के पद से हटा दिया गया था। उनकी मांग है कि उन्हें इस पर पर बहाल किया जाए। रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद में फिलहाल कोई इमाम नहीं है, इसलिए मौके का फायदा उठाकर अजीज 2 हफ्ते पहले मस्जिद में दाखिल हो गए।
सुरक्षाकर्मियों ने की मस्जिद की घेराबंदी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रशासन को मौलाना द्वारा मस्जिद कब्जाने के बारे में बताया भी गया लेकिन कोई त्वरित कार्रवाई नहीं हुई। अब नतीजा यह हुआ है कि वह 100 छात्राओं के साथ मस्जिद के बड़े हिस्से को बंद कर अंदर हैं और बाहर सुरक्षाकर्मी मस्जिद की घेराबंदी किए हुए हैं। अधिकारी मौलाना से बात करने पहुंचे लेकिन मौलाना ने कहा कि वह संघीय मंत्री स्तर के कम किसी व्यक्ति से बात नहीं करेंगे। जुमे की नमाज सख्त पहरे में मस्जिद के एक हिस्से में पढ़ी गई। इस नमाज के बाद किसी को अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई।
‘ये लोग शरीयत लागू नहीं कर रहे हैं’
पाकिस्तानी मीडिया में आए मौलाना के बयान के मुताबिक, उन्होंन कहा है कि ‘अधिकारियों ने जामिया हफ्सा की जगह खाली करने के लिए कहा है और ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई की धमकी दी है। खाने-पीने के समान की सप्लाई भी रोक दी है। लेकिन, हम इस्लाम के लिए डटे रहेंगे। यह लोग देश में शरीयत को लागू नहीं कर रहे हैं।’ सरकार का कहना है कि जामिया हफ्सा जिस जगह पर बना है, उस पर अवैध कब्जा किया गया था। यह जगह प्राकृतिक पानी का स्रोत थी, जहां मदरसा बना दिया गया।