इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने आतंकवादी संगठनों को होने वाली फंडिंग पर करारी चोट करने के लिए वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) को 26 सूत्री विस्तृत कार्य योजना सौंपी है ताकि पाकिस्तान खुद को एफएटीएफ द्वारा काली सूची (ब्लैक लिस्ट) में डाले जाने से बच सके। जिन आतंकवादी संगठनों की फंडिंग पर चोट करने की योजना है उनमें मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की अगुवाई वाला जमात - उद - दावा और उसके कई सहयोगी संगठन भी शामिल हैं। मीडिया में आई खबरों से यह जानकारी मिली है। एफएटीएफ एक अंतर - सरकारी निकाय है जिसका गठन धनशोधन , आतंकवादियों के वित्तपोषण और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था को किसी तरह के अन्य खतरे से मुकाबले के लिए किया गया था। इसकी स्थापना 1989 में हुई थी। (पाकिस्तान में 25 जुलाई को होंगे आम चुनाव, सुरक्षा के कड़े इंतजाम )
पाकिस्तान अभी एफएटीएफ की ‘ ग्रे लिस्ट ’ में है। हालिया महीनों में पाकिस्तान ऐसे देशों की सूची में शामिल होने से बचने की पूरी कोशिश करता रहा है जिन्हें एफएटीएफ धनशोधन - निरोधक नियमों और आतंकवादी वित्तपोषण नियमन का पालन नहीं करने वाला मानता है। स्थानीय अधिकारियों को आशंका है कि यदि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को काली सूची में डाल दिया तो उससे देश की अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है , जो पहले से ही बुरी स्थिति में है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर में कहा गया कि पेरिस में आयोजित एफएटीएफ के अधिवेशन में कल पाकिस्तान की 26 सूत्री कार्य योजना पर चर्चा शुरू हुई।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से अखबार ने कहा कि पाकिस्तान की योजना है कि आईएसआईएस , अल - कायदा , जमात - उद - दावा और इसके सहयोगी संगठन फलह - ए - इंसानियत फाउंडेशन और लश्कर - ए - तैयबा , जैश - ए - मोहम्मद , हक्कानी नेटवर्क और तालिबान से जुड़े लोगों की फंडिंग पर करारी चोट की जाए। अखबार ने अपनी खबर में कहा है कि एफएटीएफ पाकिस्तान की स्थिति के बारे में शुक्रवार को औपचारिक घोषणा कर सकता है। ऐसा पहली बार है कि सभी 26 कार्रवाइयों को विस्तृत रूप में प्रकाशित किया गया है।