लाहौर: पाकिस्तान की एक अदालत ने उस सिख लड़की के कंप्यूटरीकृत जन्म प्रमाणपत्र पेश करने का आदेश दिया है जिसकी पिछले साल एक मुस्लिम लड़के से शादी से देश में तनाव पैदा हो गया और भारत में चिंता पैदा हो गयी। लाहौर हाई कोर्ट के जज शेहराम सरवर ने मंगलवार को मुहम्मद हसन की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया। हसन ने अपनी पत्नी को सौंपे जाने की मांग की है जिसे एक अदालत के आदेश पर आश्रयगृह भेज दिया गया है।
लड़की ने कोर्ट में दिया था यह बयान
जज ने कौर की उम्र तय करने के लिए नेशनल डाटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑथोरिटी (नाडरा) द्वारा जारी उसका जन्म प्रमाण पत्र पेश करने का आदेश दिया ताकि इस याचिका पर निर्णय लिया जा सके। ननकाना साहिब के ग्रंथी की बेटी कौर को लाहौर के दारूल अमन में भेज दिया गया था। उससे पहले उसने लाहौर हाई कोर्ट में बयान दिया था कि उसने इस्लाम अपनाने के बाद अपनी मर्जी से हसन से शादी की और वह अपने (पिता के) घर नहीं जाना चाहती है। लेकिन उसके भाई मनमोहन सिंह ने आरोप लगाया कि हसन ने बलात्कार करने की मंशा से उसकी बहन को अगवा कर दिया।
वकील का दावा, 19 साल की है कौर
सिंह ने दावा किया कि जब यह घटना घटी थी तब कौर 16 साल से भी कम उम्र की थी और वह सहमति की उम्र तक नहीं पहुंची थी। हसन के वकील ने मंगलवार को दावा किया कि वह अब 19 साल की है और उसका कंप्यूटरीकृत जन्म प्रमाणपत्र उपलब्ध है। जज ने वकील को कौर की उम्र तय करने के लिए उसका जन्म प्रमाणपत्र पेश करने का निर्देश दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मामले की अगली सुनवाई 22 मई को होगी।
धर्म परिवर्तन करा जबर्दस्ती की शादी!
इस मुद्दे ने तब विवाद का शक्ल ले लिया था जब लड़की के परिवार का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस वीडियो में परिवार के एक सदस्य ने आरोप लगाया कि पिछले साल सितंबर में कुछ लोगों ने उसके घर पर हमला किया और कौर को अगवा कर लिया, तत्पश्चात उसका इस्लाम में धर्मांतरण करवाकर उसकी हसन से शादी करा दी गयी। भारत ने इस विषय पर पाकिस्तान के सामने चिंता प्रकट की थी।