इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ की परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। मुशर्रफ को शुक्रवार को उस समय करारा झटका लगा जब उनके खिलाफ राजद्रोह के एक गंभीर मामले की सुनवाई करने वाली एक विशेष अदालत ने सरकार को उनके पासपोर्ट और राष्ट्रीय पहचान पत्र को सस्पेंड करने के लिए अधिकृत कर दिया। अदालत 2007 में देश में आपात स्थिति लागू करने को लेकर ‘भगोड़े अपराधी’ के खिलाफ दायर राजद्रोह के मामले की सुनवाई कर रही है।
74 वर्षीय मुशर्रफ पर 2007 में आपातकाल लागू करने को लेकर मार्च 2014 में राजद्रोह के आरोप लगाए गए थे। इस दौरान कई सीनियर जजों को नजरबंद कर लिया गया था और 100 से अधिक जजों को उनके पदों से हटा दिया गया था। विशेष अदालत ने इससे पहले गृह मंत्रालय को मुशर्रफ की गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल से संपर्क करने को कहा था। गौरतलब है कि इससे पहले अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ को गिरफ्तार करने और उनकी सभी संपत्तियों को जब्त करने के निर्देश दिए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अदालत ने कहा है कि यदि मुशर्रफ गृह मंत्रालय को सुरक्षा के लिए लिखित आग्रह करने में विफल रहते हैं तो सरकार आरोपी की गिरफ्तारी को सुनिश्चित करने, उसके राष्ट्रीय पहचान पत्र और पासपोर्ट को सस्पेंड करने की दिशा में कदम उठा सकती है। अगर संघीय सरकार उनके पासपोर्ट और राष्ट्रीय पहचान पत्र को सस्पेंड कर देती है तो वह किसी देश की यात्रा नहीं कर पाएंगे। पाकिस्तान में राजद्रोह के मामले में दोषी करार दिए जाने पर फांसी या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।