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पाकिस्तान: फैज मेले में भारतीय शायर की नज्म गाने वाली छात्रा उरूज औरंगजेब को नौकरी से निकाला गया

दिग्गज क्रांतिकारी शायर फैज अहमद फैज के सम्मान में लाहौर में आयोजित फैज शांति मेले में क्रांतिकारी गीतों और नारों से सुर्खियों में आई छात्रा उरूज औरंगजेब को अपनी पार्ट टाइम नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 28, 2019 8:54 IST
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पाकिस्तान: फैज मेले में भारतीय शायर की नज्म गाने वाली छात्रा उरूज औरंगजेब को नौकरी से निकाला गया | Twitter

लाहौर: दिग्गज क्रांतिकारी शायर फैज अहमद फैज के सम्मान में लाहौर में आयोजित फैज शांति मेले में क्रांतिकारी गीतों और नारों से सुर्खियों में आई छात्रा उरूज औरंगजेब को अपनी पार्ट टाइम नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। उन्हें कोई वजह बताए बिना काम से निकाल दिया गया है। प्रगतिशील-वामपंथी रुझान रखने वालीं उरूज ने फैज मेले में भारतीय शायर बिस्मिल अजीमाबादी की नज्म ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है..’ गाकर और 'जब लाल-लाल लहराएगा, तब होश ठिकाने आएगा' नारा लगाकर सुर्खियां बटोरी थीं। उन्होंने विद्यार्थियों के कई मसलों पर आवाज उठाई थी जिनमें परिसरों में अभिव्यक्ति की आजादी भी शामिल है। 

उनके दक्षिणपंथी आलोचकों ने उनके विचार के साथ-साथ उनकी उस महंगी लेदर जैकेट का भी विरोध किया था जिसे पहनकर उन्होंने नारे लगाए थे। इन विरोधियों का कहना था कि अमीर घरों से आने वाले युवा ऐसी ही ‘बड़ी-बड़ी बातें’ किया करते हैं। इसके बाद उन्हें ‘जैकेट वाली लड़की’ के रूप में भी पहचाना जाने लगा। उरूज पढ़ने के साथ-साथ एक निजी स्कूल में पार्ट टाइम टीचर भी थीं। उनके सुर्खियों में आने के बाद उनके स्कूल ने उनसे किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार कर दिया। जब उरूज के नारों का वीडियो वायरल हुआ तो स्कूल प्रबंधन ने बिना कोई वजह बताए इन्हें नौकरी से निकाल दिया।

उरूज ने 'इंडीपेंडेंट उर्दू' से बातचीत में कहा, ‘मैं ग्रेजुएशन के वक्त से ही पार्ट टाइम जॉब कर रही थी। लेकिन, अब नौकरी से निकाल दिया गया है।’ उरूज ने नौकरी से निकाले जाने की वजह पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं करते हुए कहा, ‘विद्यार्थियों के लिए अधिकार मांगना इतना आसान काम नहीं है। मैं और मेरे साथी बहुत सी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं लेकिन हम इस पर कुछ बोल नहीं रहे हैं क्योंकि बोले तो जो हमारा असल उद्देश्य है, वह पीछे चला जाएगा। विरोध करने वालों को यह समझ लेना चाहिए कि अपना हक मांगने वाले युवाओं को टीवी का रिमोट मांगने की जिद करने वाला बच्चा नहीं समझा जाए। अभी तो हमारे संघर्ष की शुरुआत ही हुई है और इतना विरोध सामने आ रहा है। यह हमारी कामयाबी की निशानी है।’

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