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अमेरिका के इस निर्णय को पाकिस्तान ने बताया मनमाना, दोस्त चीन ने भी किया US पर पलटवार

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि अमेरिका का यह निर्णय पूरी तरह से जमीनी हकीकत से परे है और इस कवायद की विश्वसनीयता पर गंभीर संदेह उत्पन्न करता है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : November 18, 2021 22:05 IST
Pak terms ‘arbitrary’ its designation by US as ‘country of particular concern’
Image Source : TWITTER पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि अमेरिका का यह निर्णय पूरी तरह से जमीनी हकीकत से परे है।

Highlights

  • अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन को लेकर पाकिस्तान, चीन, ईरान, उत्तर कोरिया और म्यांमा को विशेष चिंता वाला देश बताया।
  • चीन ने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए धार्मिक मुद्दों का उपयोग करता है।
  • पाकिस्तान ने कहा कि विशेष चिंता वाला देश घोषित करने की कवायद की विश्वसनीयता पर गंभीर संदेह उत्पन्न करता है।

इस्लामाबाद/बीजिंग: पाकिस्तान ने अमेरिका द्वारा उसे विशेष चिंता वाला देश घोषित किए जाने को मनमाना और चुनिंदा आकलन बताते हुए खारिज किया और कहा कि यह पूरी तरह से जमीनी हकीकत से परे है और इस कवायद की विश्वसनीयता पर गंभीर संदेह पैदा करता है। अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन को लेकर पाकिस्तान, चीन, ईरान, उत्तर कोरिया और म्यांमा सहित कई राष्ट्रों को बुधवार को विशेष चिंता वाला देश बताया। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा, ‘‘मैं बर्मा (म्यांमा), पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (चीन), इरीट्रिया, ईरान, डीपीआरके (कोरिया), पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान को धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ संस्थागत हिंसा और गंभीर उल्लंघन में शामिल होने या बर्दाश्त करने के लिए विशेष चिंता वाले देश घोषित करता हूं।’’

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता असीम इफ्तिखार अहमद ने कहा कि पाकिस्तान को विशेष चिंता वाला देश घोषित करना पूरी तरह से जमीनी हकीकत से परे है और इस कवायद की विश्वसनीयता पर गंभीर संदेह उत्पन्न करता है। उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रकार नामकरण करने से दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा नहीं मिलता है।’’ 

वहीं, चीन को भी धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के लिए चिंता वाले देशों की श्रेणी में रखे जाने को लेकर गुरुवार को ड्रैगन ने उसकी आलोचना की। चीन ने साथ ही अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए प्राय: धार्मिक मुद्दों का उपयोग करता है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने बीजिंग मीडिया से कहा कि चीन निराधार आरोपों का जोरदार विरोध करता है क्योंकि इससे देश की धार्मिक स्वतंत्रता को बदनाम किया जा रहा है। अमेरिकी आरोपों के बारे में पूछने पर झाओ ने कहा, ‘चीन की सरकार कानून के मुताबिक नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करती है।’ उन्होंने कहा कि चीन में करीब 20 करोड़ धार्मिक मतों को मानने वाले लोग हैं, 3.80 लाख से अधिक धार्मिक कर्मचारी हैं, 5500 धार्मिक समूह हैं और धार्मिक गतिविधियों के लिए 1.40 लाख से अधिक स्थान हैं।

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