इस्लामाबाद. पाकिस्तान में एक तिहाई लोग यह मानते हैं कि कोरोना वायरस अमेरिका और इजराइल की साजिश है जो उन्हें कमजोर करने के लिए रची गई है। यह नतीजा इप्सॉस द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में उभरकर सामने आया है। यह सर्वे पाकिस्तान के चारों प्रांतों और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में किया गया। इसमें लोगों से कोरोना वायरस से जुड़े सवाल किए गए। चार से नौ अप्रैल के बीच हुए सर्वे में यह जानने की कोशिश की गई कि पाकिस्तानियों में कोरोना को लेकर कौन सी गलतफहमी व्याप्त है और वे इसे लेकर किस हद तक जानकारियां रखते हैं।
सर्वे में यह बात सामने आई कि हर पांच में से दो पाकिस्तानी यह समझता है कि कोरोना वायरस अमेरिका और इजराइल की साजिश है। 43 फीसदी लोगों ने इसे इन दोनों देशों की साजिश करार देते हुए कहा, "यह हमें कमजोर करने के लिए रची गई है।" सर्वे में सामने आया कि पाकिस्तानी कोरोना से बचाव के लिए जानकारी रखते हैं। 90 फीसदी पाकिस्तानियों ने साबुन से हाथ धोने और मास्क लगाने को जरूरी बताया लेकिन केवल 48 फीसदी ने सोशल डिस्टेंसिंग को जरूरी माना।
सर्वे में यह बात भी सामने आई कि पाकिस्तानियों को यह गलतफहमी है कि पांच वक्त वजू (सुबह से रात तक के बीच पढ़ी जाने वाली पांच वक्त की नमाज से पहले पानी से हाथ, मुंह, पैर धोना) करने से कोरोना से बचा सकता है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि निजी स्वच्छता के लिए वजू अच्छी चीज है लेकिन कोरोना वायरस केवल पानी से नहीं खत्म हो सकता। इसके लिए जरूरी है कि हाथ को दिन भर में एक से अधिक बार साबुन से धोया जाए।
इसी तरह सर्वे में शामिल 67 फीसदी लोगों ने कहा कि मस्जिद में सामूहिक नमाज पढ़ने से कोरोना नहीं फैलेगा। जबकि, विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना से बचाव के लिए अभी तक जो कुछ बातें सही सिद्ध हुई हैं, उनमें एक-दूसरे से दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) बनाकर रखना शामिर है और इसे बहुत जरूरी बताया गया है।