काबुल: अफगानिस्तान में जीत के जश्न में डूबे तालिबान को बड़ा झटका लगा है। अमरूल्लाह सालेह की लीडरशिप में नॉर्दन अलायंस ने तालिबान के कब्जे से तीन जिलों को आजाद करवा लिया है। बड़ी बात ये है कि अभी अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार नहीं बनी है और नॉर्दन अलायंस ने पलटवार कर दिया है। बताया जा रहा है कि पंजशीर के पास बघलान प्रोविंस के बानू, पोल-ए-हिसार और डेह सलाह जिलों से तालिबान को पीछे धकेल दिया गया है। इन तीनों जिलों पर अब नॉर्दन अलायंस का कब्जा हो गया है। यहां तालिबान का झंडा उतार कर एक बार फिर अफगानिस्तान का नेशनल फ्लैग लगा दिया गया है।
बताया जा रहा है कि सरकार बनाने की रस्साकस्सी में उलझे तालिबान के शीर्ष नेतृत्व की आंखों में आने के लिए इस समय कई शीर्ष आतंकी कमांडर काबुल में डेरा जमाए हुए हैं। इस कारण स्थानीय स्तर पर तालिबान की पकड़ कमजोर भी हुई है। इसी का फायदा स्थानीय विद्रोही समूह उठा रहे हैं। अगर विद्रोही गुट ऐसे ही हमले करते रहे तो तालिबान के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दावा तो ये भी किया गया है कि इन तीन जिलों में हुई फाइट में तालिबान के साठ से ज्यादा लडाके मारे गए हैं।
पंजशीर वो इलाका है जहां नॉर्दन अलायंस पहले से मजबूत है। ये अकेला ऐसा प्रोविंस है जहां तालिबान को घुसने नहीं दिया गया। अब नॉर्दर्न अलायंस ने पंजशीर के आस पास के तीन जिलों से भी तालिबान को बाहर कर दिया है। तालिबान के लिए यह बड़ा झटका है क्योंकि अब तक तालिबान अफगानिस्तान में वहां के सभी लोकल गुटों को अपने साथ लाने में नाकाम रहा है।
अभी तक सरकार के स्वरूप पर समहमति नहीं बन पाई है और इससे पहले ही तीन जिलों में तालिबान की हार हो गई। हालांकि ये सही है कि तालिबान उन इलाकों से पीछे हटा है जहां वो कमजोर था और ये भी सही है कि दूसरे इलाकों से तालिबान को पीछे धकेलना नॉर्दन अलायंस के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि तालिबान अब पूरी तरह अनट्रेन्ड फोर्स नहीं हैं। तालिबान को अफगान आर्मी के सरेंडर के बाद करीब दो लाख करोड़ के हथियार मिल चुके हैं। तालिबान के कब्जे में काफी हाईटेक वॉरफेयर इक्विपमेंट्स हैं और आज तालिबान के लडाके इन हथियारों की नुमाइश करते नजर आए।
तालिबान ने अब अपनी स्पेशल फोर्स बनाकर अफगानिस्तान के अलग अलग शहरों में उतर दी है। पहले तालिबान के फाइटर्स चार चार के ग्रुप्स में नजर आते थे। ओपन ट्रक में बैठकर अपने हथियार लहराते थे। अब तालिबानी फाइटर्स के हाथ में वही M4 कार्बाइन और M16 राइफल्स हैं जो अमेरिकी सेना ने अफगान आर्मी को तालिबान से लड़ने के लिए दी थी लेकिन अफगान सेना ने बिना लड़े ही सरेंडर कर दिया।
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