हाल ही में शुक्रवार को हुए रैंसमवेयर साइबर हमले ने दुनिया के कई देशों को प्रभावित किया है। इस साइबर हमले से 150 से अधिक देशों में 2,00,000 इकाईयां प्रभावित हुई हैं। माइक्रोसॉफ्ट के एक्सपी जैसे पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाले कंप्यूटर इस मालवेयर से सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। इसके प्रभावित होते ही कंप्यूटर की सभी फाइल लॉक हो जा रही हैं। इसकी पहचान सबसे पहले अमेरिकी खुफिया विभाग ने की। शुक्रवार को हुए इस साइबर हमले के बाद से ही भारत में कई एटीएम बंद हो गए है। रैंसमवेयर वायरस के चलते भारत सरकार ने एहतियातन ये फैसला लिया है। सूत्रों के मुताबिक गृहमंत्रालय ने एडवायजरी जारी कर देशभर में कई एटीएम बंद करने का फैसला लिया। वहीं दूसरी ओर इस साइबर हमले के लिए उत्तर कोरिया को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा सबूतों के आधार पर इस साइबर हमले का संबंध उत्तर कोरिया से जोड़ा जा रहा है। (रैंसमवेयर साइबर अटैक का डर, देशभर में कई ATM बंद)
वानाक्राइ सॉफ्टवेयर के एक पुराने वर्जन में जो कोडिंग इस्तेमाल की गई थी उसके कुछ कोड्स लैजरस ग्रुप ने भी इस्तेमाल किए थे। सोमवार को सिमेंटेक और केस्परस्काई लैब ने सोमवार को इस बात की जानकारी दी। विशेषज्ञों का कहना है कि लैजरस उत्तर कोरिया का हैकिंग ऑपरेशन है। दोनों ही कंपनियों का कहना है कि इस साइबर हमले के पीछ उत्तर कोरिया का हाथ है यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। नील मेहता ने भी इससे जुड़े कुछ सबूत ट्विटर पर साझा किए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोमवार को बताया कि इस वानाक्राइ अटैक के पीछे विदेशी ताकतों से लेकर साइबर अपराधियों तक का हाथ हो सकता है।
अमेरिका और यूरोपियन सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि इन हमलों के पीछे किसका हाथ है इसके बारे में फिलहाल कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि इसके पीछे उत्तर कोरिया हाथ है। उल्लेखनीय है कि सप्ताहांत तक इस रैंसमवेयर के जरिए रूस और ब्रिटेन समेत 100 से अधिक देशों के कंप्यूटर सिस्टम पर साइबर हमला किया गया है। यह अब तक के इतिहास का सबसे व्यापक तौर पर फैलने वाला रैंसमवेयर है।