सियोल: उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की बहन ने अमेरिका के साथ दक्षिण कोरिया के सैन्य अभ्यास की आलोचना करते हुए मंगलवार को दावा किया कि यह आक्रमण का पूर्वाभ्यास है। उन्होंने साथ ही आगाह किया कि उत्तर कोरिया भी अपनी प्रतिरोधी क्षमता मजबूत करेगा। किम यो जोंग का बयान ऐसे वक्त पर आया है जब दक्षिण कोरिया के मीडिया ने खबर दी है कि सहयोगी देश की सेना के साथ 16 से 26 अगस्त तक चलने वाले कंप्यूटर आधारित अभ्यास के पहले, मंगलवार को चार दिवसीय सैन्य अभ्यास की शुरुआत की जाएगी।
किम यो जोंग ने कहा कि उन्हें बयान जारी करने का अधिकार दिया गया है। इसका अर्थ है कि यह संदेश सीधे उनके भाई किम जोंग उन की तरफ से आया है। सरकारी मीडिया पर उनकी टिप्पणियों के प्रकाशित होने के कुछ घंटों बाद, दक्षिण कोरिया के रक्षा और एकीकरण मंत्रालयों ने कहा कि उत्तर कोरियाई अधिकारियों ने अंतर-कोरियाई हॉटलाइन पर मंगलवार दोपहर उनके कॉल का जवाब नहीं दिया था। दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने कहा कि वे घटनाक्रम की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं, लेकिन यह तुरंत स्पष्ट नहीं था कि उत्तर कोरिया ने संचार चैनलों को फिर से काट दिया था या नहीं।
किम यो जोंग ने कहा कि लगातार किया जा रहा सैन्य अभ्यास जो बाइडन प्रशासन के उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को लेकर वार्ता बहाल करने के उसके दिखावटी रुख को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि जब तक अमेरिका दक्षिण कोरिया से अपनी सेना और हथियारों को नहीं हटाएगा तब तक कोरियाई प्रायद्वीप में शांति कायम नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘यह अभ्यास अमेरिका की शत्रुतापूर्ण नीति की सबसे ज्वलंत अभिव्यक्ति है, जिसे हमारे देश को बलपूर्वक दबाने के लिए तैयार किया गया है, और यह आत्म-विनाश का एक अवांछित कार्य है। इसने हमारे लोगों की और कोरियाई प्रायद्वीप की स्थिति को और अधिक संकट में डाल दिया है।’
किम यो जोंग ने कहा, ‘प्रायद्वीप पर शांति स्थापित करने के लिए, अमेरिका के लिए (दक्षिण) कोरिया में तैनात अपने आक्रामक सैनिकों को वापस बुलाना अनिवार्य है। जब तक अमेरिकी सेनाएं (दक्षिण) कोरिया में रहती हैं, कोरियाई प्रायद्वीप पर स्थिति के समय-समय पर बिगड़ने का मूल कारण कभी खत्म नहीं होगा।’ किम यो जोंग ने कहा कि उत्तर कोरिया अमेरिका की तरफ से सैन्य हमले के किसी भी खतरे से निपटने के लिए अपनी क्षमता में वृद्धि जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि किसी भी सैन्य कार्रवाई से निपटने के लिए प्रतिरक्षा और मारक क्षमता मजबूत की जाएगी।